-16 किलोमीटर से अधिक फैले क्षेत्र में लख्खी मेले का आयोजन
-प्रशासन ने किया सुरक्षा के कड़े इंतजाम, घाटों पर गोताखोर तैनात
-कार्तिक पूर्णिमा के अवसर हरिद्वार और उत्तरप्रदेश क्षेत्र से आते हैं लोग
उत्तरप्रदेश। गढ़ गंगा मेला, जो हर साल कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर आयोजित होता है, इस बार एक ऐतिहासिक सफलता का गवाह बना है, क्योंकि लगभग 30 लाख श्रद्धालु इस धार्मिक मेले में शामिल हुए। यह मेला उत्तर प्रदेश के हरिद्वार जिले के गढ़ गंगा क्षेत्र में आयोजित किया जाता है, और श्रद्धालु इस अवसर पर गंगा नदी में स्नान करने के लिए आते हैं। इस मौके पर प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं। साथ ही घाटों में गोताखोर को लगाया गया है।
कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान -
कार्तिक पूर्णिमा हिंदू धर्म में एक विशेष महत्व रखता है। इस दिन को लेकर श्रद्धालुओं का मानना है कि गंगा नदी में स्नान करने से पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है। गढ़ गंगा में स्नान के लिए लाखों लोग जुटते हैं, और इस बार भी 30 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने यहां स्नान किया। गंगा में डुबकी लगाने से वे अपनी आत्मा की शुद्धि मानते हैं और ईश्वर से आशीर्वाद की प्रार्थना करते हैं।
लख्खी मेला -
गढ़ गंगा मेले का यह आयोजन एक विशाल धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव है, जो 16 किलोमीटर से अधिक फैले क्षेत्र में आयोजित किया जाता है, जिसे "लख्खी मेला" भी कहा जाता है। इस मेले में न केवल हिंदू श्रद्धालु, बल्कि विभिन्न स्थानों से आने वाले पर्यटक और तीर्थयात्री भी शामिल होते हैं। मेले के दौरान हर ओर धार्मिक गतिविधियाँ, कीर्तन, भजन और राधा कृष्ण की झांकियों का आयोजन होता है, जो वातावरण को अत्यधिक भक्तिमय बना देते हैं।
प्रशासनिक तैयारी -
इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के पहुंचने के मद्देनजर प्रशासन ने सुरक्षा और सुविधाओं का विशेष ध्यान रखा। पुलिस बल की तैनाती, चिकित्सा सहायता केंद्र, साफ-सफाई, जल आपूर्ति और यातायात व्यवस्थाओं को मजबूत किया गया। श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए नावों और पैदल मार्गों पर निगरानी रखी गई, और नदी में डुबकी लगाने के दौरान किसी प्रकार की दुर्घटना से बचने के लिए सभी आवश्यक उपाय किए गए।
धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम -
मेले के दौरान कई धार्मिक कार्यक्रम भी आयोजित होते हैं, जैसे कि हवन, पूजा, भजन कीर्तन और आरतियाँ। साथ ही, स्थानीय और बाहरी कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ भी दी जाती हैं, जो मेले की रंगत को और बढ़ा देती हैं।
सामाजिक और धार्मिक एकता का प्रतीक -
गढ़ गंगा मेला न केवल एक धार्मिक कार्यक्रम है, बल्कि यह विभिन्न समुदायों के बीच एकता और भाईचारे को बढ़ावा देने का भी प्रतीक है। यहां पर आने वाले लोग विभिन्न धर्मों और समुदायों से होते हैं, लेकिन सब एक साथ मिलकर इस पुण्य अवसर का लाभ उठाते हैं।
इस प्रकार, गढ़ गंगा मेला इस बार भी एक ऐतिहासिक श्रद्धा और आस्था का आयोजन बना, और लाखों श्रद्धालुओं ने इस पुण्य अवसर पर गंगा स्नान कर अपनी धार्मिक आस्थाओं को सशक्त किया।