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मस्जिद के खिलाफ हिंदू निकालेंगे हिंदू जागृति यात्रा

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- हिंदू संगठनों का दावा मस्जिद का निर्माण नियमों का उल्लंघन कर बनाया

-"हिंदू जागृति यात्रा" के जरिए समाज को जागरूक करने का आह्वान

- यात्रा के दौरान विभिन्न स्थानों पर सभाएं और जनसम्पर्क अभियान

उत्तराखंड। उत्तराखंड में हाल ही में एक मस्जिद के विरोध में हिंदू संगठनों द्वारा जागरूकता अभियान के तहत "हिंदू जागृति यात्रा" निकालने की घोषणा की गई है। इस यात्रा का उद्देश्य संबंधित मस्जिद की वैधता और उसके निर्माण के लिए कथित तौर पर हुए भूमि उपयोग नियमों के उल्लंघन के मुद्दे को उजागर करना बताया जा रहा है 

मामले का मूल-

हिंदू संगठनों का दावा है कि मस्जिद का निर्माण नियमों का उल्लंघन कर किया गया है। इसे लेकर कई बार स्थानीय प्रशासन और पुलिस के पास शिकायतें दर्ज कराई गई हैं।

नेताओं की प्रेस कांफ्रेंस-

जमानत पर रिहा हुए संगठन के नेताओं ने एक प्रेस कांफ्रेंस आयोजित कर इस मुद्दे को और जोर-शोर से उठाने की बात कही। उन्होंने "हिंदू जागृति यात्रा" के जरिए समाज को इस मामले में जागरूक करने का आह्वान किया।


यात्रा की योजना-

यह यात्रा मस्जिद के खिलाफ जनमत बनाने और सरकार पर कार्रवाई का दबाव डालने के उद्देश्य से आयोजित की जा रही है। यात्रा के दौरान विभिन्न स्थानों पर सभाएं और जनसम्पर्क अभियान चलाए जाएंगे।

प्रशासन की प्रतिक्रिया

सुरक्षा उपाय-

प्रशासन ने यात्रा के मद्देनजर संभावित कानून-व्यवस्था के मुद्दों पर नजर रखने के लिए अतिरिक्त सुरक्षा इंतजाम करने की बात कही है। यात्रा के मार्ग पर पुलिस की तैनाती और शांति बनाए रखने के लिए निगरानी बढ़ाई जा रही है।


जांच का आश्वासन-

प्रशासन ने यह भी कहा है कि मस्जिद के निर्माण और भूमि उपयोग संबंधी शिकायतों की निष्पक्ष जांच की जाएगी। 

सामाजिक और सांप्रदायिक तनाव-

इस मुद्दे को लेकर स्थानीय स्तर पर तनाव की स्थिति बनी हुई है। विभिन्न सामाजिक और धार्मिक संगठनों ने इस पर अपने-अपने दृष्टिकोण साझा किए हैं। जबकि हिंदू संगठन मस्जिद के निर्माण पर सवाल उठा रहे हैं, मुस्लिम समुदाय इसे उनकी धार्मिक स्वतंत्रता और सांप्रदायिक सौहार्द को भंग करने का प्रयास मान रहा है।

शांति की अपील-

विभिन्न संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सभी पक्षों से शांति और संयम बनाए रखने की अपील की है। प्रशासन भी सभी धार्मिक और सामुदायिक नेताओं के साथ संवाद कर स्थिति को नियंत्रित रखने का प्रयास कर रहा है।

इस घटनाक्रम से उत्तराखंड में धार्मिक और सामाजिक सौहार्द को बनाए रखना प्रशासन के लिए एक चुनौतीपूर्ण कार्य बन गया है।