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गांवों से उभरेगा ज्ञान का नया सवेरा : पंचायत भवनों में बनेंगे आधुनिक पुस्तकालय

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नोएडा: गांव केवल भारत की पहचान नहीं, बल्कि उसकी शक्ति और संभावनाओं का स्रोत हैं। यहां की मिट्टी में दृढ़ता का संकल्प है, तो आंखों में सपनों की चमक। अब इन्हीं गांवों से निकलेगी एक नई रौशनी - ज्ञान की रौशनी। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की एक सराहनीय और दूरदर्शी पहल के तहत अब ग्रामीण क्षेत्र के पुराने पंचायत भवनों को ज्ञान केंद्रों में बदला जाएगा। जहां पहले पंचायत बैठकों की गूंज होती थी, अब वहीं प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते युवाओं की कलम चलेगी।

विकास के साथ गांवों को मिला नया विजन

ग्रेटर नोएडा में शहरीकरण तेज हुयी और इसके साथ कई गांव शहरी क्षेत्र में सम्मिलित हो गए। इससे पंचायत व्यवस्था समाप्त हो गई और उनके भवन खाली हो गए। समय के साथ ये भवन जर्जर होने लगे। लेकिन अब इन भवनों को नई भूमिका दी जाएगी, जिससे न केवल इमारतों को जीवन मिलेगा, बल्कि ग्रामीण युवाओं को भी नई उड़ान मिलेगी। प्राधिकरण ने पहले चरण में 10 पंचायत भवनों को चिन्हित किया है। ये गांव हैं- घंघौला, रौनी, पंचायतन, नवादा, देवटा, अस्तौली, सलेमपुर गुर्जर, हतेवा समेत अन्य। इन भवनों का सौंदर्यीकरण कर उन्हें पुस्तकालयों में बदला जाएगा। जिन भवनों की हालत खराब है, वहां नए भवनों का निर्माण कराया जाएगा।

युवाओं के लिए बनेगा प्रेरणादायक माहौल

पुस्तकालयों में न केवल पुस्तकें होंगी, बल्कि आधुनिक सुविधाएं भी होंगी, जैसे शांत और स्वच्छ वातावरण, बिजली, पेयजल, पंखे, लाइटिंग और फर्नीचर। यहां प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे युवाओं को एक केंद्रित और उत्साहवर्धक माहौल मिलेगा, जो गांव से निकलकर देश की विभिन्न सेवाओं में योगदान देना चाहते हैं। प्राधिकरण ने इस योजना का प्रस्ताव तैयार कर उच्च अधिकारियों को भेज दिया है। प्रशासनिक मंजूरी मिलते ही टेंडर प्रक्रिया आरम्भ की जाएगी। फिर सभी चिन्हित भवनों में काम कराकर पुस्तकालय विकसित किए जाएंगे।

यह योजना केवल निर्माण नहीं, आत्मनिर्भरता का अभियान है

यह पहल एक साधारण निर्माण कार्य नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर भारत की नींव को और मजबूत करने का एक प्रयास है। यह दिखाता है कि ग्रामीण भारत सिर्फ खेतों तक सीमित नहीं, वह ज्ञान, प्रतिभा और नेतृत्व का भी गढ़ है। यह योजना गांव के हर उस युवा के लिए एक आशा की किरण है, जो अपनी मेहनत से भविष्य बदलना चाहता है। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की यह योजना ग्रामीण भारत को फिर से केंद्र में लाने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है। जब गांवों में किताबों की सुगंध फैलेगी, तो वहां से निकलेगी एक नई पीढ़ी जो न सिर्फ आत्मनिर्भर होगी, बल्कि देश के विकास को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगी।