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अक्षय कन्यादान महोत्सव 2025 : महोत्सव में हुआ 125 कन्याओं का विवाह संपन्न

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अक्षय कन्यादान महोत्सव 2025 : महोत्सव में हुआ 125 कन्याओं का विवाह संपन्न


- इस अवसर पर उन्होंने स्वयं पिता की भूमिका निभाते हुए वनवासी समाज की बेटी रजवंती का कन्यादान किया और वर अमन को आशीर्वाद देते हुए कहा, “मेरी बेटी का ख्याल रखना और उसे हमेशा खुश रखना।” 

- इस भव्य समारोह में सवर्ण, दलित, पिछड़े और वनवासी समाज के 125 जोड़ों का विवाह वैदिक रीति-रिवाजों के साथ संपन्न हुआ। बारात द्वारकाधीश मंदिर से घोड़े, बग्घी और बैंड-बाजे के साथ पारंपरिक अंदाज में निकली, जिसका स्वागत स्थानीय नागरिकों ने पुष्पवर्षा और जलपान के साथ किया।



वाराणसी।

अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर वाराणसी के शंकुलधारा पोखरे पर बुधवार को एक अनूठा सामाजिक और सांस्कृतिक आयोजन देखने को मिला। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के माननीय सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने यहां 125 बेटियों के सामूहिक विवाह समारोह में भाग लेकर समाज सेवा और पारंपरिक संस्कारों के अद्भुत संयोग का संदेश दिया। इस अवसर पर उन्होंने स्वयं पिता की भूमिका निभाते हुए वनवासी समाज की बेटी रजवंती का कन्यादान किया और वर अमन को आशीर्वाद देते हुए कहा, “मेरी बेटी का ख्याल रखना और उसे हमेशा खुश रखना।” 



सामूहिक विवाह में सामाजिक समरसता की मिसाल

इस भव्य समारोह में सवर्ण, दलित, पिछड़े और वनवासी समाज के 125 जोड़ों का विवाह वैदिक रीति-रिवाजों के साथ संपन्न हुआ। बारात द्वारकाधीश मंदिर से घोड़े, बग्घी और बैंड-बाजे के साथ पारंपरिक अंदाज में निकली, जिसका स्वागत स्थानीय नागरिकों ने पुष्पवर्षा और जलपान के साथ किया। समारोह के दौरान 125 वेदियों पर शहर के गणमान्य नागरिकों ने कन्यादान कर सामाजिक समरसता और भारतीय संस्कृति का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया।



संस्कार, कुटुंब और समाज निर्माण पर बल

समारोह को संबोधित करते हुए माननीय सरसंघचालक जी ने कहा, “विवाह दो व्यक्तियों का नहीं, बल्कि दो कुटुंबों और समाज के निर्माण का आधार है। कुटुंब मकान की ईंट की तरह है, जो संस्कारों से मजबूत होता है।” उन्होंने कहा कि परिवार को केवल पति-पत्नी और बच्चों तक सीमित नहीं रखना चाहिए, बल्कि इसे समाज का अविभाज्य अंग मानकर कार्य करना चाहिए। इसी अपनत्व और कर्तव्यबोध से ही समाज और देश में शांति तथा समरसता संभव है।

कन्यादान में भावुकता और प्रेरणा

माननीय सरसंघचालक जी ने सोनभद्र के जोगीडीह गांव की बेटी रजवंती के पांव पखारे और कन्यादान का संकल्प लिया। वैदिक मंत्रोच्चार के बीच उन्होंने बेटी को आशीर्वाद स्वरूप 501 रुपये नेग में दिए और वर अमन को जिम्मेदारी का भाव सौंपा। इस भावुक क्षण ने समारोह को प्रेरणादायक बना दिया। विदाई में प्रत्येक जोड़े को साइकिल, सिलाई मशीन, कपड़े, पायल और सुहाग की निशानी बिछिया भेंट की गई।


समाज सेवा का संकल्प और आयोजन का उद्देश्य

इस आयोजन के प्रेरक क्षेत्र कार्यवाह वीरेंद्र जायसवाल ने बताया कि छोटे बेटे विभव के विवाह और बहू ग्रीष्मा के गृह प्रवेश के उपलक्ष्य में पूरे परिवार ने मिलकर यह महोत्सव आयोजित किया। माननीय सरसंघचालक जी ने स्वयंसेवकों को हमेशा परिवार और समाज के लिए कर्तव्यबोध से प्रेरित रहने का संदेश दिया, जो इस आयोजन में साकार हुआ। उन्होंने अभिभावकों से अपील की कि वे नवविवाहित जोड़ों से साल में कम से कम एक-दो बार अवश्य मिलें और उनके जीवन में मार्गदर्शन दें।

जाति-मजहब से ऊपर अपनत्व का संदेश

माननीय सरसंघचालक जी ने अपने संबोधन में कहा कि जाति-मजहब से नहीं, अपनेपन और कुटुंब संस्कारों से ही विश्व में शांति लाई जा सकती है। उन्होंने कहा कि जब हम सब मिल-जुलकर भोजन करें, वेशभूषा और व्यवहार में संस्कृति को अपनाएँ और संवेदनशील बनें, तभी समाज और देश का निर्माण संभव है।




गणमान्य नागरिकों की उपस्थिति

इस समारोह में उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. महेंद्रनाथ पांडेय सहित शहर के कई विशिष्ट नागरिक उपस्थित थे। सभी ने नवविवाहित जोड़ों को आशीर्वाद दिया और इस सामाजिक पहल की सराहना की।

वाराणसी में आयोजित अक्षय कन्यादान महोत्सव ने न केवल सामाजिक समरसता, अपनत्व और संस्कारों का संदेश दिया, बल्कि समाज सेवा और पारिवारिक मूल्यों के अद्भुत संगम का उदाहरण भी प्रस्तुत किया। माननीय सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी की उपस्थिति और उनके प्रेरक विचारों ने इस आयोजन को ऐतिहासिक और प्रेरणादायक बना दिया।