अलीगढ़, उत्तर प्रदेश : अलीगढ़ कृषि नवाचार यात्रा में प्रमुख भूमिका निभा रहा है। जहां एक ओर खेतों की मिट्टी से किसान देश की खाद्य सुरक्षा को सशक्त बना रहे हैं, वहीं अब वही किसान वैश्विक बाजार में भी अपनी पहचान बना रहे हैं। आलू की बंपर पैदावार और उससे बनने वाला ‘आलू पाउडर’ आज इजराइल, ब्राजील और इंडोनेशिया जैसे देशों में भी पहुँच रहा है। यह न मात्र भारतीय कृषि की ताकत को दर्शाता है, अपितु आत्मनिर्भर भारत अभियान की जड़ों को और मजबूत करता है।
अलीगढ़ जिले में लगभग 30 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में आलू की खेती होती है। इसी आलू से तैयार हो रहा है आलू पाउडर, जिसकी देश और विदेशों में बहुत मांग है। जिले में स्थित निशांत कोल्ड स्टोरेज द्वारा आधुनिक तकनीक से आलू प्रोसेस कर प्रति दिन लगभग 75 टन पाउडर तैयार किया जाता है। इस प्रक्रिया में आलू को छीलने, धोने, उबालने, पीसने और सुखाने के बाद एक महीन पाउडर में बदला जाता है, जो 120 से 130 रुपये प्रति किलो तक बिकता है।
यह पाउडर बर्गर, कटलेट, टिक्की, पराठा और चिप्स जैसे विविध व्यंजनों के निर्माण में प्रयोग होता है। देश की नामचीन फूड कंपनियाँ भी इस पाउडर का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल कर रही हैं।
अलीगढ़ के अलावा हापुड़ में भी इसी तरह के कोल्ड स्टोरेज यूनिट स्थापित हैं, जो किसानों से सीधे आलू खरीदकर उन्हें मंडियों की तुलना में बेहतर भाव प्रदान करते हैं। इससे किसानों की आमदनी में सीधा बढ़ोत्तरी हो रहा है। शालिनी तोमर जैसी स्थानीय व्यवसायियों का मानना है कि अगर ऐसे और प्लांट लगाए जाएँ तो इससे दोगुना लाभ होगा। इससे न मात्र प्रसंस्करण क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा, अपितु किसानों को अपनी उपज का अधिक मूल्य मिलेगा। आज अलीगढ़ का आलू पाउडर न मात्र भारतीय रसोई अपितु विदेशों की भी पसंद बन चुका है। यह एक ऐसा उदाहरण है जहाँ कृषि, उद्यमिता और तकनीक का संगम हुआ है। इस पहल से स्पष्ट है कि आत्मनिर्भर भारत केवल नारे तक सीमित नहीं, बल्कि धरा पर उतर चुका है।
‘लोकल टू ग्लोबल’ की यह कहानी उस नए भारत की पहचान है, जहाँ किसान केवल उत्पादक नहीं, वैश्विक सप्लाई चेन का हिस्सा बन चुके हैं। अलीगढ़ जैसे जिलों में हो रही यह क्रांति आने वाले समय में न मात्र आजीविका देगी अपितु ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी एक नई दिशा दे सकती है।