15 अप्रैल 1563 – 30 मई 1606
जहाँगीर का बेटा खुसरो सिखों के 5वें गुरु अर्जुन देव की शरण में आया तो जहाँगीर बौखला गया। उसने अर्जुन देव पर विद्रोह का झूठा आरोप लगाकर लाहौर में भीषण यातनाएं दीं। इस्लाम अपनाने का दबाब बनाया गया। जब गुरुजी ने ऐसा करने से स्पष्ट रूप से मना कर दिया तो उन्हें गर्म रेत पर बैठाया और खौलते पानी में डुबो दिया। जघन्य हत्याकाण्ड को छिपाने के लिए अत्याचारियों ने 30 मई 1606 की रात्रि में गुरुजी के पार्थिव शरीर को रावी नदी में बहा दिया। धर्म के लिए उनका बलिदान अन्याय के विरुद्ध अहिंसक प्रतिरोध का प्रतीक है। गुरुजी के बलिदान स्थल पर गुरुद्वारा डेरा साहिब है, जो अब पाकिस्तान में है।