अलीगढ बहुत पुराना नगर है। वैसे तो इसकी पहचान ताला व हार्डवेयर कारोबार के लिए रही है लेकिन अब इसे एक और पहचान मिलने वाली है। वह पहचान है चंदन की लकड़ी। जी हाँ, अलीगढ़ अब चंदन की उत्पत्ति के लिए भी जाना जाएगा। यहां वन विभाग की अत्याधुनिक नर्सरी में विशेष विधि से प्रतिकूल परिस्थितियों में चंदन के पौधे सफलतापूर्वक तैयार कर लिए गए हैं। अभी नर्सरी में सफेद चंदन की लकड़ी वाला पौधा तैयार किया गया है। भविष्य में अलीगढ़ से चंदन दूसरे जिलों में भेजा जाएगा।
चंदन के अलावा कर्नाटक से मंगाए जाने वाले मिलिया दूबिया के बीज से तैयार होने वाले पौधे भी इस नर्सरी में विशेष विधि के जरिए तैयार कर लिए गए हैं।ये बीज भी किसानों को सस्ते दामों में उपलब्ध होंगे। इस सफलतापूर्वक ऐसा प्रयोग करने वाला अलीगढ़ मंडल का पहला जिला बन गया है। जानकारी के लिए बता दें कि मिलिया - दूबिया पेड़ की लकड़ी साफ्ट प्लाइवुड कारोबार में बड़ी मात्रा में काम आती है। इसका बीज कर्नाटक से दो हजार रुपये प्रति किलो मंगाया जाता है। उसमें भी कितने बीज नष्ट हो जाते हैं, उनका पता नहीं चलता। मगर हाईटेक नर्सरी में तैयार मिलिया दुबिया के पौधे किसानों को मात्र 25 रुपये में उपलब्ध होंगे। किसान इनको लगाकर अपनी आय का स्रोत भी बढ़ा सकते हैं। इससे पर्यावरण को भी मजबूती मिलेगी और किसान भी समृद्ध होंगे। मिलिया - दूबिया की लकड़ी काफी महंगी बिकती है।
अलीगढ़ के छेरत में पिछले वर्ष हाईटेक नर्सरी स्थापित की गई थी। इसमें प्रतिकूल जलवायु होने के बावजूद विभिन्न प्रकार के पौधे विशेष तकनीकी से उगाए जाते हैं। इसके पहले इस हाईटेक नर्सरी में असली रुद्राक्ष व सिंदूर के पौधे भी तैयार किए जा चुके हैं। अभी 950 चंदन व 1100 मिलिया- दूबिया के पौधे हाईटेक नर्सरी में उगाए गए हैंl अलीगढ़ के वन क्षेत्राधिकारी गौरव कुमार सिंह के अनुसार अलीगढ़ की जलवायु में चंदन का पौधा पनपे इसलिए हाईटेक नर्सरी में विशेष प्रकार का मिश्रण तैयार किया गया। कोको शीट (जूट), सेंड (बालू), मिट्टी, परलाइट का मिक्चर बनाकर विशेष तापमान उत्पन्न कर चंदन का पौधा उगाया गया है।
लाल चंदन की बिक्री व उगाने को लेकर कुछ नियमों के दांवपेंच हैं। जिसके चलते उसकी उपज नहीं कराई जा रही है। जिले में वन विभाग की 23 नर्सरी हैं, इनमें से एक हाईटेक नर्सरी भी है। देश में होने वाले ऐसे छोटे–छोटे प्रयास ही हमारे देश की आर्थिक एवं सामाजिक प्रगति में बड़ी भूमिका निभाएंगे। अपने देश की प्रगति में योगदान देने वाले इस मुहीम से जुड़े उस प्रत्येक कर्मयोगी को हम नमन करते हैं जिनके प्रयासों से अलीगढ़ में यह स्वप्न साकार हो रहा है।