सुनहु भरत भावी प्रबल बिलखि कहहु मुनिनाथ,
हानि लाभ जीवन मरन जस अपजस विधि हाथ'।
श्रीरामचरितमानस की यह चौपाई उमेश उपाध्याय के अचानक देहावसान पर सटीक बैठती है। सब कुछ अचानक होना, इसे ही होनी कहते हैं। वरिष्ठ पत्रकार, लेखक और विचारक उमेश उपाध्याय का 1 सितंबर को घर में गिरने से निधन हो गया। यह सब अचानक होने से पूरा मीडिया जगत और उनसे जुड़े लोग स्तब्ध हैं।
डॉ. मनमोहन वैद्य, अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अपनी शोक संवेदना प्रकट करते हुए कहा कि उमेश जी उपाध्याय का अचानक चले जाना अत्यंत क्रूर और आघातजनक समाचार है। विश्वास नहीं हो रहा है। प्रचार प्रमुख का दायित्व संभालने के बाद उमेश जी सहज मिलने आए थे। तब तक प्रिंट मीडिया तक ही प्रचार विभाग सीमित था। उनसे मिलने के बाद इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का महत्व ध्यान में आया और उसका समावेश प्रचार विभाग में हुआ। देश में सभी जगह इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की ट्रेनिंग देने के लिए उमेश जी साथ रहते थे। फिर रेडियो, शॉर्ट फिल्म, स्तंभ लेखक आदि सभी आयाम शुरू हुए, उसमें उमेश जी साथ थे। वह एक अच्छे लेखक, चिंतक और प्रयोगशील व्यक्ति थे। उनके अचानक जाने से मेरे एक विश्वसनीय सहकारी तथा आत्मीय मित्र खोने का दुःख हो रहा है। पर होनी को कौन टाल सकता है! ईश्वर दिवंगत आत्मा को उत्तम गति प्रदान करें तथा परिवारजनों यह दुःसह आघात सहन करने की शक्ति प्रदान करें यह विनम्र प्रार्थना। ओम शांति शांति शांति।
इसी क्रम में सुनील आंबेकर ने अपनी शोक संवेदना में कहा कि वरिष्ठ पत्रकार, लेखक व हमारे मित्र उमेश उपाध्याय जी का अकस्मात् निधन सभी के लिए अत्यधिक दुखद है। उन्होंने मिडीया जगत में चार दशक से अधिक सक्रिय भूमिका निभाते हुए, अपनी गहरी छाप छोड़ी है। वे सतत हंसमुख रहते हुए कार्यरत रहे। उनकी पवित्र स्मृतियों के साथ उन्हें भावभीनी श्रद्धाजंलि। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें तथा उनकी पत्नी, बेटा-बेटी सहित परिवार जन व मित्रों को यह दुख सहन करने की शक्ति प्रदान करें। ॐ शांति।
बता दें कि उमेश उपाध्याय ने भारतीय मीडिया की विभिन्न विधाओं में चार दशक से अधिक समय तक कार्य किया। उनका करियर प्रिंट, रेडियो, टीवी और डिजिटल मीडिया में शानदार रहा। इसके साथ ही उन्होंने प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया, ऑल इंडिया रेडियो, डीडी न्यूज, नेटवर्क 18 और जी न्यूज जैसे प्रमुख समाचार संगठनों से जुड़कर संस्थान को नई ऊंचाई दी।