नोएडा : भारत की तकनीकी शिक्षा और युवाओं की प्रतिभा ने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम गर्व से ऊंचा किया है। नोएडा स्थित जेएसएस अकादमी ऑफ टेक्नीकल एजुकेशन के 10 छात्रों द्वारा बनाया गया अत्याधुनिक सैटेलाइट उपकरण नासा और अमेरिकन एस्ट्रोनॉटिकल सोसाइटी (एएएस) द्वारा विश्व के टॉप 20 प्रोजेक्ट्स में सम्मिलित किया गया है। अब यह छात्र समूह अमेरिका के वर्जीनिया में 5 जून से 9 जून तक आयोजित कार्यक्रम में अपने प्रोजेक्ट का प्रदर्शन करेगा, जहां नासा और अन्य रिसर्च संस्थानों के वैज्ञानिक इसका मूल्यांकन करेंगे।
उत्तर दिशा में स्थिर कैमरा बना विशेष आकर्षण
प्रोजेक्ट के टीम लीडर अतिन शर्मा ने बताया कि इस सैटेलाइट डिवाइस को दो हिस्सों में तैयार किया गया है - बाहरी सुरक्षा परत और अंदर एक सॉफ्टवेयर-युक्त हार्डवेयर सिस्टम। इसका आकार कैन जैसा है। डिवाइस की सबसे अनोखी विशेषता इसका कैमरा है, जो हर परिस्थिति में उत्तर ध्रुव की दिशा में केंद्रित रहता है। इससे दिशा का भ्रम नहीं होता और यह वैज्ञानिक रिसर्च के लिए अधिक उपयोगी सिद्ध होगा।
ग्रह, वातावरण, तापमान और धरातल की देगा सूचना
अतिन ने बताया कि डिवाइस का उपयोग ग्रह की स्थिति, वातावरण, तापमान, धरातल की संरचना और गुरुत्वाकर्षण जैसे आंकड़ों को मापने में किया जा सकता है। इस उपकरण का डिजाइन वैज्ञानिक और शैक्षणिक दोनों क्षेत्रों में नए द्वार खोल सकता है।
छह महीने की मेहनत, 10 छात्रों की टीम
इस परियोजना की तैयारी पिछले छह महीनों से चल रही थी। टीम में अतिन शर्मा के साथ हितांशी सिंह, पलक श्रीवास्तव, आर्यन उपाध्याय, प्रज्ज्वल सिंह, वात्सल्य श्रीवास्तव, नैना नेगी, पिया प्रसाद, रजत खन्ना और सुष्मिता सिंह शामिल हैं। सभी छात्रों को अमेरिका के लिए वीजा प्राप्त हो चुका है।
संस्थान और देश के लिए गर्व का क्षण
जेएसएस अकादमी के प्रधानाचार्य डॉ. अमरजीत सिंह ने इस उपलब्धि को पूरे देश के लिए गौरवपूर्ण बताया। उन्होंने कहा, 66 देशों से आए प्रोजेक्ट्स में हमारे छात्रों का चयन होना भारत की तकनीकी क्षमता और प्रतिभा का प्रमाण है। हम सबको उन पर गर्व है। संस्थान के प्रोफेसर डॉ. प्रशांत चौहान ने कहा कि यह सफलता छात्रों की लगन, टीमवर्क और नवाचार की भावना का परिणाम है।
यह उपलब्धि केवल एक तकनीकी सफलता नहीं, बल्कि भारत के नवाचारशील युवाओं के उज्ज्वल भविष्य की झलक है। नोएडा के इन छात्रों ने सिद्ध कर दिया है कि सही मार्गदर्शन,टीम वर्क और मेहनत से वैश्विक स्तर की कोई भी चुनौती छोटी है।