देश के युवा अपने देश प्रेम की अभिव्यक्ति का माध्यम ढूंढ ही लेते हैं। ऐसे ही एक युवा हैं देहरादून के क्लेमेनटाउन निवासी अंकित भारती। अंकित एक पर्वतारोही हैं। लोग सोचते होंगे कि आखिर पर्वत पर चढ़ना कोई कैसे लक्ष्य बना लेता है। वास्तव में पर्वत पर चढ़ना एक सामान्य काम नहीं है। इसके लिए दृढ ईच्छा शक्ति, आत्मानुशासन, अच्छा स्वास्थ्य और निरंतर अबह्यास की जरुरत होती है, पर्वतारोहण व्यक्तित्व के साहसी गुणों को निखारकर देश के प्रति आपके जज्बे की भी अभिव्यक्ति करता है। अंकित ने इसी भावना से प्रेरित होकर लद्दाख के मारखा घाटी में स्थित कांग्यात्से 1-2 चोटियों को विजित कर देवभूमि का नाम रोशन किया है।
अंकित ने प्रतिकूल मौसम के बावजूद 6,400 मीटर की ऊंचाई पर स्थित कांग्यात्से-1 और 6,250 मीटर पर स्थित कांग्यात्से-2 चोटी पर चढ़कर तिरंगा लहराया। इससे पहले वह अफ्रीका महाद्वीप की सबसे ऊंची व दुर्गम चोटी माउंट किलिमंजारो भी राष्ट्रध्वज लहरा चुके हैं। अंकित ने वर्ष 2019 में बेसिक माउंटेनियरिंग कोर्स किया और 2021 में नेहरू माउंटेनियरिंग इंस्टीट्यूट से एडवांस माउंटेनियरिंग कोर्स ए-ग्रेड के साथ पूरा किया। वर्ष 2024 में सर्च एंड रेस्क्यू कोर्स का प्रशिक्षण नेहरू पर्वतारोहण संस्थान से लिया। प्रत्येक भारतीय को तिरंगे को लहराता देखकर हमारे मन में अपार हर्ष होता है, यदि इसी तिरंगे को पर्वत की चोटियों पर फहराता देखंगे तो सभी भारतीयों को कितना हर्ष होगा शायद यही सोचकर अंकित ने इन दुर्गम चोटियों पर देश के राष्ट्र ध्वज को फहराने का संकल्प लिया होगा। अंकित ने अपने अभियान की शुरुआत 14 अगस्त को लेह से समिट कैंप के लिए की। तीसरे दिन 17 अगस्त की सुबह सात बजे बेस समिट कैंप से उन्होंने
कांग्यात्से-1 में चढ़ने के लिए चढ़ाई शुरू की। भारी बर्फबारी के बावजूद चार घंटे में वह कांग्यात्से-1 पीक पर पहुंच गए और वहां राष्ट्रीय ध्वज फहराया। अगले ही दिन 18 अगस्त को सुबह 8:15 बजे उन्होंने समिट कैंप से कांग्यात्से-2 के लिए चढ़ाई शुरू की और दोपहर 1:20 बजे उन्होंने इस चोटी पर भी राष्ट्रीय ध्वज फहराया। अंकित के इस अभियान की विशेषता यह रही कि मात्र छह दिन में दोनों दुर्गम चोटियों को फतेह करने वाले वह प्रथम पर्वतारोही बने। अंकित उत्तराखंड एथलेटिक्स एसोसिएशन में टेक्निकल कमेटी के सदस्य के रूप में कार्य कर रहे हैं। उनका अगला लक्ष्य वर्ष 2025 में विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट फतेह करने का है।
अंकित के इस अभियान में सहयोग के लिए स्थानीय सोशल बलूनी पब्लिक स्कूल, एसडीआरएफ और माउंट क्राफ्ट सहित उनके दोस्तों और स्थानीय लोगों ने सहायक प्रेरक की भूमिका का निर्वहन किया। अंकित जैसे युवा देश के अन्य युवाओं के लिए प्रेरक हैं जो अपने संकल्प से देश का नाम भी रोशन करते हैं और देश के प्रति अपने प्रेम को भी अभिव्यक्त करते हैं।