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महाकुंभ में पहली बार बौद्ध भिक्षुओं की संगम में डुबकी, सनातन और बौद्ध एकता का संकल्प

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महाकुंभ में पहली बार बौद्ध भिक्षुओं की संगम में डुबकी, सनातन और बौद्ध एकता का संकल्प  


  • - संगम के तट पर "बुद्धं शरणं गच्छामि, धम्मं शरणं गच्छामि, संघं शरणं गच्छामि" के जयघोष से वातावरण गूंज उठा
  • - संगम में आयोजित इस ऐतिहासिक स्नान में 500 से अधिक बौद्ध धर्मावलंबियों ने भाग लिया और "भगवान बुद्ध की करुणा हो,


सम्राट अशोक अमर रहें" के नारे लगाए 


प्रयागराज – महाकुंभ 2025 की पावन धरती पर पहली बार दुनिया भर के भंते, लामा और बौद्ध भिक्षुओं ने एक साथ त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाई, जिससे सनातन और बौद्ध धर्म की एकता का संदेश पूरे विश्व में गया। संगम के तट पर "बुद्धं शरणं गच्छामि, धम्मं शरणं गच्छामि, संघं शरणं गच्छामि" के जयघोष से वातावरण गूंज उठा।

  
500 से अधिक बौद्ध अनुयायियों ने किया संगम स्नान-  


संगम में आयोजित इस ऐतिहासिक स्नान में 500 से अधिक बौद्ध धर्मावलंबियों ने भाग लिया और "भगवान बुद्ध की करुणा हो, सम्राट अशोक अमर रहें" के नारे लगाए। इस अवसर पर आरएसएस के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य इंद्रेश कुमार की उपस्थिति में बौद्ध भिक्षुओं ने सनातन और बौद्ध एकता का संकल्प लिया।  


विश्व शांति और एकता का संदेश- 


निर्वासित तिब्बत सरकार के रक्षामंत्री गैरी डोलमाहम ने कहा कि आरएसएस के मार्गदर्शन में बौद्ध और सनातनी एक साथ आए हैं और आगे भी कदम से कदम मिलाकर चलेंगे। म्यांमार से आए भदंत नाग वंशा ने कहा कि महाकुंभ में उनकी यह पहली यात्रा है और वे विश्व शांति के लिए कार्य कर रहे हैं।  


हम एक थे, एक हैं, और एक रहेंगे


अंतरराष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान के भदंत शील रतन ने इस अवसर पर कहा कि बौद्ध और सनातन परंपरा सदैव एक रही है और आगे भी बनी रहेगी। वहीं, आरएसएस के वरिष्ठ नेता इंद्रेश कुमार ने कहा कि कुंभ से सनातन और बौद्ध मत के समन्वय की धारा को और आगे बढ़ाया जाएगा। उन्होंने कहा कि "सनातन ही बुद्ध है और बुद्ध शाश्वत सत्य हैं।


इस दौरान भंते बुद्ध प्रिय विश्व, भंते राजकुमार, भंते अश्वजीत, भिक्षु सुमेन्ता, भंते अनुरूद्ध, भंते संघप्रिय, भंते बोधि रक्षित, भंते धम्म दीप, भंते बोधि रतन और भंते संघ रतन सहित कई प्रमुख बौद्ध भिक्षुओं ने संगम में स्नान किया।  


महाकुंभ भारतीय संस्कृति और सनातन परंपरा की दिव्यता का प्रतीक-  


इस ऐतिहासिक क्षण के दौरान केंद्रीय मंत्री श्रीपद नाइक ने भी संगम स्नान किया। उन्होंने कहा कि महाकुंभ भारतीय संस्कृति और सनातन परंपरा की दिव्यता को दर्शाने वाला अनूठा आयोजन है। उन्होंने डिजिटल सूचना केंद्र, स्वच्छता अभियान, सुरक्षा और परिवहन व्यवस्था की सराहना करते हुए कहा कि इन व्यवस्थाओं ने श्रद्धालुओं के अनुभव को और भी सुखद बना दिया है।  


महाकुंभ बना धार्मिक समन्वय का प्रतीक-  


महाकुंभ 2025 सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि सनातन और बौद्ध परंपरा के समन्वय का भी साक्षी बन रहा है। संगम में बौद्ध भिक्षुओं के स्नान ने विश्व शांति और धार्मिक एकता का एक नया संदेश दिया है, जो आने वाले समय में और मजबूत होगा।