केंद्र सरकार ने त्रिपुरा के दो विद्रोही गुटों नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (NLFT) और ऑल त्रिपुरा टाइगर फोर्स (ATTF) पर पांच साल का प्रतिबंध लगाया है. यह प्रतिबंध दोनों समूहों के सहयोगी संगठनों पर भी लागू होगा. इन पर देश की संप्रभुता और एकता के खिलाफ गतिविधियों में शामिल होने का आरोप है.
गृह मंत्रालय ने अधिसूचना जारी कर कहा कि एनएलएफटी और एटीटीएफ का उद्देश्य भारत से अलग कर त्रिपुरा को अलग राष्ट्र बनाना है. इसके लिए ये गुट कई साल से अन्य संगठनों की सहायता से सशस्त्र विद्रोह कर रहे हैं और त्रिपुरा के लोगों को उकसा रहे हैं.
केंद्र सरकार का मानना है कि दो गुट विध्वंसक और हिंसक गतिविधियों में शामिल हैं और अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए आतंक फैला रहे हैं. ये दोनों गुट नागरिकों और सुरक्षा बलों के जवानों की हत्या में शामिल रहे हैं. इसके साथ ही कारोबारियों, व्यापारियों और जनता से वसूली करते हैं. ये दोनों गुट देश की संप्रभुता और एकता के लिए खतरा हैं. दोनों गुटों और इनके सहयोगी संगठनों पर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 की धारा 3 के तहत कार्रवाई की गई है. नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुरा और ऑल त्रिपुरा टाइगर फोर्स के खिलाफ भारत सरकार ने बड़ी कार्रवाई की है. भारत सरकार ने इन्हें गैरकानूनी संगठन घोषित किया है.
नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुरा भारत के त्रिपुरा में स्थित एक प्रतिबंधित चरमपंथी संगठन है. वह पूर्वोत्तर भारत में विद्रोही गतिविधियों को अंजाम देता है. एनएलएफटी अपना अलग झंडा रखता है, जिसमें तीन रंग (हरा, सफेद और लाल) हैं.
अक्तूबर 2018 में, भारत सरकार ने हिंसक गतिविधियों की वजह से ऑल त्रिपुरा टाइगर फोर्स और द नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुरा की निंदा की थी.
इसके बाद एटीटीएफ और एनएलएफटी को 2019 में अपने हालिया कार्यों का बचाव करने का मौका दिया गया था. गृह मंत्रालय की एक टीम ने दोनों संगठनों की जांच की थी.