- अपनों को यादकर दीपदान के दौरान कई परिजनों की आँखें नम
मुरादाबाद। मुरादाबाद के तिगरी मेले में इस वर्ष भी श्रद्धालुओं ने अपने प्रियजनों की स्मृति में गंगा तट पर दीपदान किया। इस भावपूर्ण आयोजन में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए, जिन्होंने दीप जलाकर अपने परिजनों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की। गंगा के पवित्र तट पर दीपदान की यह परंपरा न केवल दिवंगत आत्माओं के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करने का अवसर है, बल्कि परिवार के सदस्यों के लिए भी एक भावनात्मक पल है।
दीपदान का महत्व-
तिगरी मेले में दीपदान का आयोजन, कार्तिक पूर्णिमा के विशेष पर्व पर होता है। यह अवसर उन सभी के लिए होता है जिन्होंने अपने प्रियजनों को खोया है। दीप जलाकर गंगा नदी में प्रवाहित करने की इस परंपरा का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व माना गया है। यह एक प्राचीन मान्यता है कि गंगा में दीप प्रवाहित करने से दिवंगत आत्माओं को शांति मिलती है और परिवार के सदस्य उनके प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त कर सकते हैं।
परिजनों की भावनात्मक सहभागिता-
दीपदान के दौरान कई परिजनों की आँखें नम हो जाती हैं। गंगा की लहरों पर तैरते दीपों को देखते हुए लोग अपने प्रियजनों को याद करते हैं और उनकी स्मृतियों में खो जाते हैं। इस दौरान मौन प्रार्थना और आत्मिक जुड़ाव के क्षण होते हैं, जो परिवार के सदस्यों को एक भावनात्मक सहारा देते हैं।
गंगा तट पर दिव्य दृश्य-
दीपदान के इस आयोजन में सैकड़ों दीयों की रोशनी से गंगा का तट पूरी तरह से जगमगा उठता है, और यह दृश्य बहुत ही दिव्य और शांतिदायक होता है। दीपों की रोशनी से जगमगाते जल में श्रद्धा और प्रेम का संगम होता है, जिससे तिगरी मेले का माहौल आध्यात्मिकता से भर जाता है।
तिगरी मेला न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि अपने प्रियजनों को याद करने और उनके प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करने का यह अवसर परिवार के सदस्यों के लिए भावनात्मक रूप से महत्वपूर्ण होता है।