उत्तरप्रदेश।
- नोएडा एनसीआर में 400 लोग लेंगे फेरे
- विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन, यज्ञोपवीत आदि कार्य होंगे शुरू
आज देव एकादशी का विशेष पर्व मनाया जा रहा है, जिसे देवउठनी एकादशी या प्रबोधिनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। यह एकादशी हर साल कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को आती है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान विष्णु चार महीने के योग निद्रा (चातुर्मास) से जागते हैं, और इस दिन से सभी मांगलिक कार्यों जैसे विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन, यज्ञोपवीत आदि कार्यों की शुभ शुरुआत होती है। इसे देवताओं के जागने का पर्व भी कहा जाता है, इसलिए इसे "देवउठनी" एकादशी कहा जाता है।
इस दिन के विशेष महत्व और योग-
इस बार देव एकादशी पर शुभ योग बन रहे हैं, जिससे इस दिन का महत्व और अधिक बढ़ गया है। यह दिन भगवान विष्णु की पूजा और व्रत के लिए अत्यंत लाभकारी माना जाता है।
विवाह मुहूर्त की शुरुआत-
देव एकादशी से ही विवाह आदि मांगलिक कार्यों के शुभ मुहूर्त की शुरुआत होती है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार, चातुर्मास के दौरान विवाह या अन्य मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं। अब से लोग शुभ कार्यों की योजनाएँ बना सकते हैं।
पूजा विधि-
इस दिन भक्त भगवान विष्णु का विधिपूर्वक पूजन करते हैं। तुलसी का पूजन और भगवान विष्णु के चरणों में तुलसी पत्र अर्पण करना विशेष फलदायी माना गया है। साथ ही व्रत करने से पापों का नाश होता है और भक्त को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
तुलसी विवाह का आयोजन-
कई जगहों पर इस दिन तुलसी विवाह का आयोजन भी होता है। तुलसी को विष्णु भगवान की पत्नी के रूप में माना जाता है, और उनका विवाह शालिग्राम (विष्णु का प्रतीक) के साथ सम्पन्न किया जाता है। इसे भगवान विष्णु और तुलसी के मिलन का प्रतीक माना जाता है, और इससे परिवार में सुख-समृद्धि का आगमन होता है।
धार्मिक मान्यता-
धार्मिक मान्यता के अनुसार, जो भी व्यक्ति इस दिन व्रत रखता है और भगवान विष्णु की पूजा करता है, उसे पुण्य की प्राप्ति होती है और जीवन में सुख-शांति आती है।