कौन अनुमान लगा सकता है जो मदरसा शिक्षा के लिए है वहां पिछले कई महीनों से नकली नोट छापने की फैक्ट्री चल रही है। और धड़ाधड़ नकली नोटों का काला कारोबार भी मदरसे के मौलवी कर रहे थे। यह गोरख धंधा उत्तर प्रदेश के प्रयागराज शहर के बीचोबीच स्थित जामिया हबीबिया मस्जिद आजम मदरसा से संचालित हो रहा था। लेकिन कहते हैं न कि एक न एक दिन काले करतूतों का पर्दाफाश हो ही जाता है। इस तरह मदरसे में करीब तीन महीने से चल रही जाली नोटों की छपाई का पुलिस ने भंडाफोड़ कर मदरसे के मौलवी समेत चार लोगों को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने कार्रवाई के दौरान यहां से एक लाख 30 हजार रुपये के नकली नोट, प्रिंटर, कटर ब्लेड, कैंची, चमकीला टेप, दो बंडल कागज, 234 पेज छपा हुआ बिना कटा नोट, नोट काटने वाले उपकरण और लैपटॉप आदि जब्त किये।
पुलिस ने कार्रवाई करते हुए आरोपित मदरसे के कार्यवाहक प्रिंसिपल (मौलवी) मो. तफसीरुल आरफीन, जाहिर खान उर्फ अब्दुल जाहिर, मो. साहिद और मो. अफजल के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है। इस तरह ये सभी लोग बिना मान्यता प्राप्त मदरसे में मौलवी के संरक्षण में जाली नोटों का कारोबार कर भारतीय अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा रहे थे।
बता दें कि आरोपित जाहिर खान लगभग चार साल पहले ओडिशा से मदरसे में तालीम हासिल करने आया। यहां उसे अपने भाई के आधार कार्ड बनाने को देखकर उसके मन में नकली नोट छापने की योजना आई। इसके बाद नकली नोट छापने के लिए वह हाई लेवल का स्कैनर, प्रिंटर समेत अन्य उपकरण खरीद कर नकली नोट छापना शुरू कर दिया। इन नकली नोटों को इन लोगों ने सबसे पहले नजदीक ही भीड़ भाड़ वाले किराना स्टोर और चाय पान की दुकानों पर चलाने लगे। क्योंकि सौ रुपये की नोट को लोग अक्सर ध्यान से नहीं देखते हैं और यह आसानी से खप जाती थी।
लेकिन पूर्व ही सूचना मिलने से पुलिस सक्रिय हो गई थी। और 28 अगस्त को गिरोह का एक सदस्य जब कौशांबी के एक व्यक्ति को 45 हजार के नकली नोट देने ही वाला था कि सिविल लाइंस पुलिस और एसओजी टीम ने धावा बोलकर अफजल व साहिद को गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद पूछताछ कर मदरसे पर छापेमारी कर मौलवी और सरगना को भी धर दबोचा। इस तरह जाली नोटों के काले कारनामे का अंत हुआ।