रायबरेली, उत्तर प्रदेश
सनातन परंपरा की छांव में, वैदिक मंत्रोच्चारण और हनुमान मंदिर की पवित्रता के बीच एक प्रेम कहानी ने नया अध्याय लिखा। रायबरेली में युवती फलक नाज ने अपने प्रेमी कुशाग्र वाजपेयी संग सात फेरे लेकर जीवनभर साथ निभाने का वचन दिया। इस विवाह की सबसे खास बात यह रही कि युवती ने न केवल परिवार और मजहब के विरोध को पीछे छोड़ा, बल्कि सनातन संस्कृति को आत्मसात करते हुए अपना नाम बदलकर फलक वाजपेयी रखा। लालगंज कस्बे के घोसियाना मोहल्ले की फलक नाज और साकेत नगर निवासी कुशाग्र वाजपेयी तीन साल से एक-दूसरे को दिल से चाहते थे। कुशाग्र मोबाइल शॉप पर कार्यरत है जबकि फलक नाज एक क्लिनिक में रिसेप्शनिस्ट है। दोनों की दोस्ती धीरे-धीरे गहरे रिश्ते में बदली और उन्होंने साथ जीने-मरने की कसमें खा लीं।
परिवार का विरोध और पुलिस का दखल
24 सितंबर को फलक नाज घर छोड़कर निकल गई। परिजनों ने कोतवाली में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने तलाश कर दोनों को ढूंढा और समझाने की कोशिश की, मगर युवती अपने निर्णय पर अडिग रही। उसने साफ कहा कि अब उसका जीवन सिर्फ कुशाग्र के साथ ही है। हिंदू संगठनों की पहल पर रविवार को बेहटा चौराहा स्थित हनुमान मंदिर में वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच दोनों का विवाह संपन्न हुआ। वैदिक धर्म के मंत्र, अग्नि के साक्षी और देवताओं की उपस्थिति का आभास कराते वातावरण में सात फेरे लिए गए। विवाह के बाद फलक नाज ने अपना नाम बदलकर फलक वाजपेयी रख लिया। इस नाम के साथ उसने सनातन धर्म में घर वापसी की। सात फेरों के साथ दूल्हा-दुल्हन ने एक-दूसरे को जीवनभर साथ निभाने का वचन दिया।

मंदिर में गूंजे जयघोष
जैसे ही विवाह की रस्में पूरी हुईं, मंदिर परिसर में खुशी की लहर दौड़ गई। ‘जय श्रीराम’ के जयघोष और आतिशबाजी के बीच वातावरण भक्तिमय हो उठा। मंगल गीतों और वैदिक ध्वनियों से पूरा माहौल गूंज उठा। यह विवाह न केवल दो दिलों का मिलन है, बल्कि सनातन संस्कृति की महानता और पवित्रता का प्रतीक भी है। अग्नि को साक्षी मानकर दोनों ने सात फेरे लिए, इस प्रेम कहानी ने समाज को एक संदेश दिया है कि सनातन परंपरा हर युग में जीवन को दिशा देने वाली और प्रेम को पवित्रता प्रदान करने वाली है।




