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विदेशियों को लुभा रही थारू महिलाओं की बनाई जूट और जलकुंभी की टोपी

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 ग्रेटर नोएडा, उत्तर प्रदेश  

यूपी इंटरनेशनल ट्रेड शो में इस बार लखीमपुर खीरी की थारू जनजाति की महिलाओं के हुनर ने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा है। समाज कल्याण विभाग की पहल पर पहली बार ग्रेटर नोएडा के एक्सपो मार्ट में थारू महिलाओं का स्टॉल लगाया गया, जिसमें जूट और जलकुंभी से बनी टोपी, चप्पलें, टोकरी, डलिया और कई आकर्षक सामग्री सजी हुई हैं। लखीमपुर खीरी के बलेरा गांव, जो दुधवा नेशनल पार्क के पास बसा है वहाँ थारू समुदाय के लोग रहते हैं। यहां की महिलाएं परंपरागत रूप से जूट और जलकुंभी से बनी घरेलू उपयोग की सामग्री तैयार करती रही हैं। साल 2012 में राजकुमारी ने महिलाओं को जोड़कर स्वयं सहायता समूह बनाया। इस समूह ने चप्पल, टोपी, मोबाइल पर्स, रोटी बॉक्स और टोकरी जैसी वस्तुएं बनाकर दुधवा आने वाले विदेशी पर्यटकों को बेचना शुरू किया। धीरे-धीरे इनकी कलाकृतियां विदेशियों के बीच भी लोकप्रिय होती चली गईं।

सरकार की मदद से बढ़ा आत्मनिर्भरता का रास्ता

योगी सरकार महिलाओं की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए लगातार काम कर रही है। इसी कड़ी में इस साल मई महीने में समाज कल्याण विभाग ने राजकुमारी और उनके समूह से संपर्क किया और आर्थिक मदद देकर बलेरा गांव में एक सेंटर शुरू करवाया। आज इस सेंटर में बनी वस्तुओं की बाजार में बड़ी मांग है। इंटरनेशनल ट्रेड शो में भी देश-विदेश से आए लोग इनके स्टॉल पर रुककर उनकी कलाकृतियों को पसंद कर रहे हैं। थारू महिलाओं द्वारा तैयार जूट और जलकुंभी की वस्तुएं विदेशी पर्यटकों को खासतौर पर भा रही हैं। पारंपरिक कला और आधुनिक जरूरतों का संगम इन उत्पादों को और भी खास बना देता है। थारू महिलाओं की मेहनत और आत्मनिर्भरता की यह मिसाल आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा है।

 तमिलनाडु से लकड़ी की मूर्तियों का आकर्षण

इंडिया एक्सपो मार्ट में तमिलनाडु निवासी के.पी. धर्मानी ने लकड़ी से बनी देवी-देवताओं की मूर्तियों का स्टॉल लगाया है। उनकी मूर्तियों की कीमत 30 हजार रुपये से लेकर तीन लाख रुपये तक है। धर्मानी परिवार की तीन पीढ़ियां इस कला को आगे बढ़ा रही हैं। वर्तमान में उनका गोदाम दिल्ली के मयूर विहार में स्थित है।  यूपी इंटरनेशनल ट्रेड शो न सिर्फ छोटे गांवों के लोक कलाकारों को बड़ा मंच दे रहा है, बल्कि उनके हुनर को अंतरराष्ट्रीय पहचान भी दिला रहा है।