महिला ग्राम प्रधान ने बदली गांव की सूरत, महिलाओं को बनाया स्वावलंबी
भारत की लगभग 68.8 प्रतिशत आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है। इसीलिए गौरवशाली भारत देश को विश्व पटल पर विकासशील देश से विकसित देश बनाना है तो इन गाँवों का विकसित होना भी जरूरी है। इसी ध्येय को पूर्ण करने के लिए आज देश के कई ग्रामीण क्षेत्राधिकारी और ग्राम प्रधान, फिर चाहे वो पुरुष हो या महिला, सभी अपने अपने स्तर पर कार्य कर रहे हैं। ऐसी ही एक महिला प्रधान हैं लखनऊ के माल ब्लॉक स्थित अटारी गांव की प्रधान और प्रधान संघ की ब्लॉक अध्यक्ष संयोगिता सिंह चौहान, जो अपने गाँव को पूर्ण रूप से विकसित और सुदृढ़ बनाने के लिए निरंतर कार्यरत हैं।
प्रधानी का कार्यभार संभालने के बाद से ही वह जन सेवा के कार्यों में जुट गईं। सर्वप्रथम उन्होंने ग्राम पंचायत में कच्ची शराब का अवैध उद्योग बंद कराया तत्पश्चात् किशोरीयों व महिलाओं को स्वावलंबी बनाने हेतु समाज के सहयोग से सिलाई, कढ़ाई, ब्यूटी पार्लर व खाद्य प्रसंस्करण आदि के प्रशिक्षण केंद्र विकसित किये । छोटे बच्चों के लिए आंगनबाड़ी का निर्माण कराया तथा बच्चों के लिए खेल सामग्री की व्यवस्था की। गाँव की शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ बनाया, विद्यालयों का नवीनीकरण कराया तथा भारत की स्वाध्याय परम्परा के अनुशीलन के लिए आधुनिक सुविधाओं से युक्त एक पुस्तकालय बनवाया।
आज उनकी पंचायत के शत् – प्रतिशत् बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। उन्होंने पंचायत हेतु एक वृहद तथा आधुनिक पंचायत भवन का निर्माण कराया, जिसकी प्रशंसा पंचायती राज मंत्रालय द्वारा भी की गई। आदरणीय प्रधानमंत्री जी के सपने 'स्वच्छ भारत' को साकार करने हेतु पंचायत में सामुदायिक शौचालय व SLWM के अंतर्गत RRC, जैविक खाद निर्माण केंद्र आदि बनवाए, जो नियमित रूप से संचालित हो रहे है। स्वास्थ के प्रति सजगता होने के कारण पंचायत को टीबी मुक्त कराने का प्रयास किया जिसमें उन्हें वर्ष 2024 में सफलता प्राप्त हुई और उनकी पंचायत 'टीबी मुक्त' घोषित हुई। नशाखोरी, बाल विवाह, अपराध, घरेलू हिंसा जैसी सामाजिक कुरीतियों के प्रति लोगों को सजग करने के लिए समय समय पर कई कार्यक्रम आयोजित किए।
इस प्रकार प्रधान संयोगिता सिंह चौहान ने अपनी मेहनत और लगन से यह प्रमाणित कर दिया है कि कोई भी कार्य असंभव नहीं होता। जो भी उनके पंचायत के बारे में सुनता है वही अपने गाँव में भी ऐसा ही सकारात्मक परिवर्तन करने को तत्पर हो जाता है। संयोगिता जी जैसी नारी शक्ति से प्रेरणा लेकर आस पास के अनेक गाँवों में भी यह सकारात्मक बदलाव की पहल शुरू हो गयी है। यह सशक्त और समर्थ होते भारत की आहट है।