UP में पाँच आध्यात्मिक कॉरिडोर तैयार, धार्मिक पर्यटन को मिलेगी रफ्तार: CM योगी
- - इन गलियारों के माध्यम से श्रद्धालु अब प्रदेश के महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों तक सुगमता से यात्रा कर सकेंगे
- - गुरुवार (27 फरवरी 2025) को प्रयागराज दौरे पर आए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गंगा पूजन कर महाकुंभ के समापन की घोषणा की
उत्तर प्रदेश में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य में पाँच प्रमुख आध्यात्मिक कॉरिडोर विकसित करने की घोषणा की है। इन गलियारों के माध्यम से श्रद्धालु अब प्रदेश के महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों तक सुगमता से यात्रा कर सकेंगे। मुख्यमंत्री ने इन धार्मिक गलियारों की जानकारी प्रयागराज में महाकुंभ 2025 के समापन के दौरान दी।
गुरुवार (27 फरवरी 2025) को प्रयागराज दौरे पर आए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गंगा पूजन कर महाकुंभ के समापन की घोषणा की। इस दौरान उन्होंने महाकुंभ को सफलतापूर्वक संपन्न कराने वाले पुलिस कर्मियों, सफाई कर्मियों, स्वास्थ्य कर्मियों, मीडिया कर्मियों, नाविकों, परिवहन चालकों और परिचालकों का आभार व्यक्त किया।
ये हैं पाँच प्रमुख आध्यात्मिक कॉरिडोर
प्रयागराज-विंध्याचल-काशी कॉरिडोर-
यह गलियारा शक्ति और शिव की उपासना से जुड़ा है। इसके माध्यम से श्रद्धालु प्रयागराज से विंध्याचल देवीधाम और फिर वाराणसी तक आसानी से यात्रा कर सकेंगे। विंध्याचल शक्तिपीठ माँ विंध्यवासिनी का प्रमुख मंदिर है, जबकि वाराणसी भगवान शिव की नगरी मानी जाती है।
प्रयागराज-अयोध्या-गोरखपुर कॉरिडोर-
यह गलियारा वैष्णव और शैव परंपरा को जोड़ता है। श्रद्धालु प्रयागराज में त्रिवेणी संगम में स्नान कर हनुमान मंदिर, अक्षय वट और सरस्वती कूप के दर्शन करने के बाद अयोध्या में रामलला के दर्शन कर सकते हैं। इसके बाद वे गोरखपुर जाकर गोरखनाथ मंदिर में गुरु गोरखनाथ का आशीर्वाद प्राप्त कर सकेंगे।
प्रयागराज-लखनऊ-नैमिषारण्य कॉरिडोर-
यह गलियारा प्राचीन ऋषियों और तपस्थलों से जुड़ा है। श्रद्धालु प्रयागराज से लखनऊ होते हुए नैमिषारण्य धाम तक जा सकेंगे। नैमिषारण्य हिंदू धर्म के 88 महातीर्थों में से एक है, जहाँ 88,000 ऋषियों ने तपस्या की थी। यह स्थान ब्रह्मा, विष्णु, महादेवी सती और भगवान शिव से जुड़ा हुआ है।
प्रयागराज-राजापुर-चित्रकूट कॉरिडोर-
यह गलियाराभगवान राम के वनवास काल से जुड़ा हुआ है। श्रद्धालु चित्रकूट धाम तक आसानी से पहुँच सकेंगे, जहाँ कामदगिरि पर्वत, रामघाट और हनुमान धारा जैसे प्रमुख तीर्थ स्थल हैं। इसके अलावा, राजापुर गोस्वामी तुलसीदास की जन्मस्थली है, जिन्होंने रामचरितमानस और विनय पत्रिका की रचना की थी।
प्रयागराज-मथुरा-वृंदावन-शुकतीर्थ कॉरिडोर-
यह गलियारा भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं से जुड़ा है। श्रद्धालु बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे के माध्यम से मथुरा-वृंदावन और फिर शुकतीर्थ तक यात्रा कर सकेंगे। शुकतीर्थ भगवान कृष्ण और दैत्यों के गुरु शुक्राचार्य की तपस्थली के रूप में प्रसिद्ध है। इस मार्ग से भक्त श्रीकृष्ण की जन्मस्थली मथुरा और उनके बाल्यकाल की लीलाओं से जुड़े वृंदावन के दर्शन भी कर सकेंगे।
धार्मिक पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा-
महाकुंभ 2025 के दौरान इन आध्यात्मिक कॉरिडोरों के विकास से उत्तर प्रदेश में धार्मिक पर्यटन को नया आयाम मिलेगा। इन गलियारों के माध्यम से श्रद्धालुओं को सुविधाजनक यात्रा, सुरक्षित मार्ग और तीर्थस्थलों तक सीधी कनेक्टिविटी मिलेगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सरकार आध्यात्मिक पर्यटन को नई ऊँचाइयों तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध है और भविष्य में भी इस दिशा में और कदम उठाए जाएँगे।