वाराणसी. मिलिंद परांडे ने कहा कि कुछ विदेशी ताकतों तथा विधर्मियों द्वारा सनातन धर्म एवं हिन्दू संस्कृति के खिलाफ लगातार षड्यंत्र रचा जा रहा, इस संबंध में प्रबुद्धजनों को सतर्क रहना होगा. विश्व के कुछ देशों को भारत का उत्थान सहन नहीं हो रहा, वे यहां लंगड़ी सरकार चाहते हैं जिससे उनकी बादशाहत कायम रहे.
विश्व हिन्दू परिषद काशी प्रांत द्वारा शुक्रवार को आयोजित (रामाश्रय वाटिका) कचहरी तथा बीएचयू के वैदिक विज्ञान केंद्र में प्रबुद्धजनों की गोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में विश्व हिन्दू परिषद के केंद्रीय संगठन महामंत्री मिलिंद परांडे जी ने संबोधित किया.
उन्होंने कहा कि कट्टर विधर्मियों के साथ ग्लोबल मार्केट के खिलाड़ी हमारी संस्कृति के खिलाफ नया-नया कुचक्र रच कर अपना नेरेटिव सेट कर रहे हैं. कई देश चाहते हैं कि भारत में हिन्दू समाज खंड-खंड में विभक्त रहे, जिससे उनकी दुकानदारी चलती रहे. कट्टरवादियों के साथ मिलकर कुछ देश जनता द्वारा चुनी सरकारों को कमजोर करने का कुचक्र रचते हैं. बांग्लादेश में चुनी गई सरकार को उखाड़ फेंकना व हिन्दू समाज पर जघन्य हमला, उसी का हिस्सा था. भारत में भी बांग्लादेश जैसा जघन्य कृत्य करने की धमकी दी गई है. ऐसे में हिन्दू समाज को एकत्रित होकर ऐसी ताकतों का कड़ा प्रतिकार करना होगा.
मिलिंद परांडे ने कहा कि 1947 में देश आजाद हुआ, लेकिन उसके पूर्व हजारों साल तक हमारी संस्कृति पर आक्रमण होता रहा. सनातन संस्कृति को मिटाने की लाख प्रयास हुए, लेकिन हम फिर से उठ खड़े हुए. आज पूरी दुनिया भारत का लोहा मान रही है. प्रबुद्धजनों को यह समझना होगा कि एक तरफ हम विश्व की तीसरी आर्थिक शक्ति बनने जा रहे हैं तो दूसरी तरफ विदेशी षड्यंत्र और कट्टरवादियों के खतरे से भी हम जूझ रहे हैं. देश को कमजोर करने के लिए ऐसे षड्यंत्र रचे जा रहे हैं, ताकि हिन्दू समाज युवा, महिला, अनुसूचित जाति, अगड़ा-पिछड़ा में अलग-अलग बँट जाए. इस चुनौती से लड़ने के लिए युवा शक्ति को जागृत कर समाज की एकता के लिए सभी को संकल्पित होना होगा.
उन्होंने कहा कि 16वीं शताब्दी तक समूचे विश्व की 35% संपदा भारत के पास रही जो 17वीं सदी तक घटकर 22 प्रतिशत रह गई. 21वीं सदी में भारत फिर से आर्थिक, सामरिक क्षेत्र में अपना डंका बजाने लगा है तो विश्व के कुछ बड़े देश जलने लगे. वसुधैव कुटुंबकम की राह पर चलने वाले हम वो पथिक हैं जो कभी विश्व गुरु रहे. महर्षि अरविंद ने भी कहा था कि भारत की स्वाधीनता स्वयं के लिए नहीं, बल्कि विश्व कल्याण के लिए है.
बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में कार्यक्रम के अध्यक्ष विश्व वैदिक विज्ञान केंद्र के समन्वयक प्रोफेसर उपेंद्र कुमार त्रिपाठी ने महामना पंडित मदन मोहन मालवीय के जीवन वृत्त पर चर्चा की.