कहते हैं कि ईद के मौके पर
कुर्बानी का जिक्र है लेकिन आगरा शाहगंज आजमपाड़ा के रहने वाले गुल चमन शेरवानी ने
कुर्बानी की एक नई तरकीब निकाली है। गुल चमन ने बताया कि बकरीद पर उनके परिवार में बकरे की
कुर्बानी देने की परंपरा चली आ रही है। 2018 में घर में ईद से पहले कुर्बानी देने
के लिये जब पहली बार बकरा लाए थे उससे पहले उस बकरे को कुत्तों ने नोंच डाला था और घायल हालत में ही इसे घर लेकर आए। कुछ
दिनों बाद बच्चों का बकरे से बेहद लगाव हो गया। बच्चों ने उस बकरे की 1 साल देखभाल की। इस दौरान वह बकरा घर का सदस्य जैसा बन गया। 1 साल के बाद जब ईद आई तो ईद पर
बकरे की कुर्बानी होनी थी। लेकिन बेटी
गुलसनम ज़िद पर अड़ गई कि वह इस बकरे की कुर्बानी नहीं देने देगी। बेटे गुलवतन ने भी मना किया। उन्होंने बकरे को कुर्बानी के लिए मदरसे में
देने का फैसला किया लेकिन बच्चे इस पर भी तैयार नहीं हुए। बच्चों की जिद के चलते
उन्होंने उस साल केक पर बकरे का चित्र लगाकर कुर्बानी दी। तब से यह सिलसिला शुरू हो गया। अब हर साल गुल चमन और उसका परिवार केक पर बकरे
का फोटो लगाकर कुर्बानी करते हैं। गुल चमन ने बताया कि परिवार में बकरे की
प्रतीकात्मक कुर्बानी दी जाती है। उनका
मानना है कि यह सब की खुशी का अवसर है।
सोर्स : news18