• अनुवाद करें: |
मुख्य समाचार

हिन्दू जीवन दर्शन देश को दिशा दिखाने में समर्थ है – सुरेश जी सोनी

  • Share:

  • facebook
  • twitter
  • whatsapp

नागपुर. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य सुरेश सोनी जी ने ‘हिन्दू जीवन दर्शन की सर्वसमावेशकता’ विषय पर कहा कि हिन्दू जीवन दर्शन ही देश को दिशा दर्शन करा सकता है. त्याग, स्व-समर्पण ये अपने मूल्य हैं. इनसे ही हमें समाज का निर्माण करना चाहिए. जीवंत समाज जीवन की रचना हम कर सकते हैं. ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ यही हमारा ध्येय है.

कविकुलगुरू कालिदास संस्कृत विश्वविद्यालय एवं हिन्दू धर्म संस्कृति मंदिर, नागपुर के संयुक्त तत्वाधान में चिटणवीस सेंटर स्थित बनियान सभागृह में, आयोजित संघ के ज्येष्ठ प्रचारक, विचारवंत ‘तरुण भारत’ के पूर्व संपादक स्व. मा. गो. वैद्य स्मृति व्याख्यान माला में व्याख्यान दिया. कार्यक्रम के अध्यक्ष कुलगुरू प्रो. हरेराम त्रिपाठी थे. हिन्दू धर्म संस्कृति मंदिर नागपुर के अध्यक्ष मनोज वाघ विशेष रूप से उपस्थित थे.

उन्होंने कहा कि मा. गो. वैद्य स्वयं एक विचार थे. उन्होंने राष्ट्र के लिए स्वयं का जीवन समर्पित कर दिया. उनका जीवन प्रेरणादायी, सार्थक और जीवनमूल्य आधारित रहा. धर्म, संस्कृति, दर्शन आदि विषयों सह तात्कालिक गंभीर विषयों पर उनका लेखन शाश्वत है और हम सबके लिए मार्गदर्शक है.

भारतीय जीवनप्रणाली सर्वसमावेशक है. इसमें पशु, पक्षी, वनस्पति आदि सहित सभी का विचार सहिष्णुता से किया जाता है. सभी में ईश तत्त्व व्यापक है. इस विशाल व्यवस्था में हम सभी उस विराट के अंश हैं. अपनी हिन्दू विचारधारा समन्वय की है. भारतीय जीवन प्रणाली में सर्वसमावेशकता सहज रूप से व्यक्त होती है.

सुरेश सोनी जी ने हिन्दू जीवन में स्थित भोग तथा मोक्ष दोनों के बीच संघर्ष की सूक्ष्म रूप से विवेचना की. मोक्षप्राप्ति ही हिन्दू जीवन दर्शन का अंतिम ध्येय है. आत्मविचार का मनन, चिंतन तथा प्रत्यक्ष आचरण करना यही महत्त्वपूर्ण है. प्रो. हरेराम त्रिपाठी ने अध्यक्षीय उद्बोधन दिया.

कार्यक्रम का आरंभ वेदमंत्रों के साथ दीप प्रज्ज्वलन से हुआ. प्रास्ताविक मनोज वाघ ने रखा. अतिथियों ने विश्वविद्यालय की त्रैमासिक पत्रिका के 24वें अंक का लोकार्पण किया. त्रैमासिक का संपादन अधिष्ठाता प्रो. मधुसूदन तथा जनसंपर्क अधिकारी डॉ. रेणुका बोकारे ने किया है. ‘वंदेमातरम्’ से कार्यक्रम का समापन हुआ.