जल ही जीवन का आधार है, जिससे कोई इंकार नहीं कर सकता है. जिस तरह से अब प्राकृतिक संसाधनों का दोहन हो रहा है, उससे स्पष्ट है कि भविष्य में संकट और गहरा सकता है. जलवायु परिवर्तन और बढ़ती जनसंख्या तथा जल स्रोतों के अत्यधिक दोहन की वजह से भूजल का स्तर लगातार कम होता जा रहा है. ऐसे में आवश्यक है कि हम पानी के महत्व को समझें और इसे बर्बाद होने से बचाएं.
हमारी पृथ्वी का एक तिहाई हिस्सा जल से घिरा हुआ है. इसके बावजूद भी लोग जल संकट से परेशान हैं. कई जगह पानी की पहुंच इतनी अधिक है कि लोग उसे आंख मूंदकर बर्बाद करते हैं तो कई जगह प्यास बुझाने के लिए ही पानी नसीब नहीं है. यही कारण है कि दुनिया के अनेक स्थानों पर लोगों को जल संकट का सामना करना पड़ रहा है. लोगों में पानी के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए ही 22 मार्च का दिन विश्व जल दिवस के रूप में मनाया जाता है. ताकि लोग जल का मूल्य समझ सकें. प्रत्येक नागरिक को इसके महत्व से अवगत कराने के लिए ही संयुक्त राष्ट्र ने विश्व जल दिवस मनाने की शुरुआत की थी.
पूरे विश्व में साफ पानी का धनी देश ब्राजील को माना जाता है. ब्राजील में 8647 अरब क्यूबिक मीटर पानी उपलब्ध है. विश्व में पानी की उपलब्धता को लेकर भारत का आठवां स्थान है. एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत विश्व के कुल भूजल का 24 प्रतिशत उपयोग करता है. कई महानगरों में जिस तरह से जल स्तर कम हो रहा है, उससे भविष्य में संकट गहरा सकता है. गौर करने वाली बात ये है कि धरती का करीब तीन चौथाई हिस्सा पानी से भरा हुआ है, लेकिन इसमें से सिर्फ तीन प्रतिशत हिस्सा ही पीने योग्य है. वहीं, इज़रायल जैसा अल्प वर्षा वाला देश जल संधारण का सबसे बड़ा उदाहरण है. सामान्य वर्षा वाले देशों को जल संरक्षण और संवर्धन की सीख इज़रायल से लेने की आवश्यकता है.
पृथ्वी का 71 प्रतिशत भाग जल से घिरा हुआ है, 29 प्रतिशत भाग पर स्थल है. इस 29 प्रतिशत क्षेत्र पर ही मनुष्य और दूसरे प्राणी रहते हैं. कुल पानी का लगभग 97 प्रतिशत पानी समुद्र में पाया जाता है, लेकिन खारा होने के कारण इस पानी को पीने के लिए उपयोग नहीं किया जा सकता. सिर्फ तीन प्रतिशत पानी ही पीने लायक है, जो ग्लेशियर, नदी, तालाबों में पाया जाता है. इस तीन प्रतिशत पानी में भी 2.4 प्रतिशत हिस्सा ग्लेशियरों, दक्षिणी ध्रुवों पर जमा है, जबकि बचा हुआ 0.6 प्रतिशत पानी नदी, तालाबों, झीलों और कुओं में मौजूद है. जिसका हम उपयोग कर सकते हैं, इसलिए जल संरक्षण का महत्व है. इसकी एक बूंद बूंद बहुत कीमती है, इसे व्यर्थ नहीं गवाना चाहिए.
वस्तुत: पानी हमारे प्रतिदिन के जीवन के लिए महत्वपूर्ण है और पृथ्वी पर हमारा अस्तित्व इसी से है. पृथ्वी पर मौजूद कुल पानी का लगभग ढाई प्रतिशत ही मीठा पानी है और बढ़ती जनसँख्या और पानी के दुरुपयोग के कारण मीठे पानी की कमी अब नजर आने लगी है. जल संकट एक ऐसी स्थिति है, जहां किसी क्षेत्र के भीतर उपलब्ध पीने योग्य, अप्रदूषित पानी उस क्षेत्र की मांग से कम हो जाता है. भूजल पृथ्वी पर मीठे पानी का सबसे बड़ा स्रोत है जो हमारे जीवन को समृद्ध करता है. हालांकि, सतह के नीचे संग्रहित होने के कारण, इसे अक्सर अनदेखा किया जाता है. जैसे-जैसे जलवायु परिवर्तन बदतर होता जाएगा, भूजल अधिक से अधिक महत्वपूर्ण हो जाएगा. हमें इस बहुमूल्य संसाधन को स्थायी रूप से प्रबंधित करने के लिए मिलकर काम करने की आवश्यकता है.
सचेत भूजल मेघ से बाहर हो सकता है, लेकिन यह मेधा से बाहर नहीं होना चाहिए. भूजल को प्रदूषण से बचाना और स्वयं जरूरतों को संतुलित करते हुए इसका स्थायी रूप से उपयोग करना चाहिए. तभी जल हमें और हमारे कल को बचाएगा. आखिर! यह हमारी आने वाली पीढ़ी की अनमोल धरोहर है. इसे सार-संभाल कर रखने की जिम्मेदारी हमें ही मिलकर निभानी होगी.
अन्यथा रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून. पानी गए न ऊबरे मोती मानुष चून.
वर्षों पुराना यह दोहा कभी नीतिवाद से प्रेरित लगता था, लेकिन आज यह सच साबित होता दिख रहा है. बढ़ते जल संकट को लेकर पर्यावरणविद् सुंदरलाल बहुगुणा का कहना था कि, अगला विश्व युद्ध पानी को लेकर लड़ा जाएगा. भविष्य में जल के भयावह संकट की चेतावनी दी थी!
जल संकट से बचने का उपाय हमें सतर्क और सजग रहकर हर हाल खोजना होगा. अन्यथा जन-जीवन का अस्तित्व ही समाप्त. आईये, हम सब मिलकर जल को बचाएं, जल हमारा जीवन बचाएगा.