चमोली
जनपद में जड़ी-बूटी की खेती कर रहे 48 काश्तकारों को केंद्रीय
आयुष मंत्रालय ने पंजीकृत कर लिया है। अब ये काश्तकार देश के किसी भी कोने में
जड़ी-बूटियां बेच सकेंगे। चमोली के उच्च हिमालय क्षेत्रों के गांवों के काश्तकार
बड़े पैमाने पर कुटकी व अन्य जड़ी-बूटियों की खेती कर रहे हैं। ये काश्तकार
प्रतिवर्ष करोड़ों रुपये का कारोबार कर रहे हैं।
बीते
वर्ष चमोली जनपद के काश्तकारों ने करीब दो करोड़ रुपये की कुटकी बेची। देवाल ब्लॉक
के घेस और वाण गांव में करीब 10 हेक्टेयर भूमि पर काश्तकार कुटकी का
उत्पादन कर रहे हैं। प्रत्येक तीन साल में तैयार होने वाली कुटकी की कीमत 1200
रुपये प्रति किलोग्राम है।
भारत
सरकार का आयुष मंत्रालय एक डॉक्यूमेंट्री बनाने जा रहा है। आयुष मंत्रालय कुटकी की
खेती के लिए 70 फीसदी की सब्सिडी पर ऋण देता है।
इसी क्रम में मंत्रालय अब कुटकी की खेती, काश्तकारों की
समस्याओं, अधिक से अधिक काश्तकारों को जड़ी-बूटी की खेती से
जोड़ने के लिए डॉक्यूमेंट्री बना रहा है।