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सर्वे भवंतु सुखिनः का दायित्व पूरा करने के लिए आपदा में तुर्की के साथ खड़ा हुआ भारत

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भले ही तुर्की भारत का विरोध करने के लिए पाकिस्तान के साथ खड़ा होता रहा हो, लेकिन भारत सर्वे भवंतु सुखिनः का अपना दायित्व नहीं भूला है. इस आपदा के समय तुर्कीये की सहायता के लिए भारत ही सबसे पहले न सिर्फ खड़ा हुआ है, बल्कि सहयोग लेकर पहुंचा भी है. जबकि पाकिस्तान या अन्य मदद के लिए नहीं पहुंचा है.

भूकंप पीड़ितों की सहायता के लिए भारत ने तुर्कीये में एनडीआरएफ की टीम और प्रशिक्षित कुत्तों की टीम भेजने का फैसला किया है. खोज और बचाव कार्यों के लिए एनडीआरएफ कर्मियों की टीमें विशेष रूप से प्रशिक्षित डॉग स्क्वॉड और आवश्यक उपकरणों के साथ रवाना हो रही हैं.

भूकंप में फंसे हजारों लोगों की मदद के लिए भारत से एनडीआरएफ की तीसरी टुकड़ी 08 फरवरी को वाराणसी से रवाना हो गई. वाराणसी के लाल बहादुर शास्त्री अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से 11 एनडीआरएफ की 51 सदस्यी टीम अपने राहत बचाव के सभी साजो सामान के साथ रवाना हो गई. टीम को लीड करने वाले डिप्टी कमांडेंट अभिषेक कुमार राय ने बताया कि तुर्कीये में आए भूकंप के बाद मदद के लिए भारत से यह तीसरी एनडीआरएफ की टीम यानि 11 एनडीआरएफ अपने 51 सदस्यों के साथ रवाना हो रही है. जिसमें दो डॉग स्क्वायड और कम्युनिकेशन के सेटअप हैं जो इमरजेंसी में काम आते हैं और राहत बचाव के सभी साजो सामान लेकर रवाना हो रहे हैं.

मदद के लिए चार सी -17 ग्लोबमास्टर सैन्य ट्रांसपोर्ट विमानों में राहत सामग्री, एक मोबाइल अस्पताल और विशेष खोज बचाव दल को भेजा है. इसके अलावा भारतीय वायु सेना (IAF) के एक ट्रांसपोर्ट विमान में जीवन रक्षक दवाओं और चिकित्सा वस्तुओं सहित छह टन राहत सामग्री तुर्कीये के अलावा भूकंप से प्रभावित सीरिया में भेजी है. भारतीय सेना की इन टीमों में महिला कर्मी भी शामिल हैं.

तुर्कीये में आए खतरनाक भूकंप और उससे हुए भारी नुकसान को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने तुरंत मदद का ऐलान किया. जबकि भारत और तुर्कीये के बीच सामान्य संबंध कभी नहीं रहे. भारत ने हमेशा तुर्कीये की मदद की, लेकिन भारत को तुर्कीये ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर हमेशा धोखा दिया है. हाल ही में तुर्कीये ने अपनी संसद में कश्मीर पर एक कमेटी बनाकर भारत के खिलाफ कदम उठाया था. लेकिन भारत इस वक्त तुर्कीये के साथ हर तरीके से खड़ा है और मदद कर रहा है.

1965 और 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में तुर्कीये ने पाकिस्तान की काफी सहायता की. जबकि भारत 1970 से ही कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा और बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में तुर्कीये को ऋण, अनुदान और तकनीकी सहायता करता आया है. वहीं 90 के दशक में जब तुर्कीये और कुर्दों के बीच घमासान युद्ध चल रहा था, तब भी भारत ने तुर्कीये को सैन्य मदद दी थी.

तुर्कीये में भूकंप की वजह से मची तबाही के बाद भारत से वायुसेना के विमानों में राहत सामग्री और एनडीआरएफ टीम भेजी गईं. ऐसे में एक समाचार चल रहा है कि तुर्कीये जा रहे भारतीय विमान को पाकिस्तान ने अपने एयरस्पेस में एंट्री देने से इनकार कर दिया. हालांकि, अभी तक भारत या पाकिस्तान की ओर से इस बारे में कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है.

रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि भारतीय वायु सेना के सी-17 ग्लोबमास्टर विमान को दूसरा रास्ता चुनना पड़ा क्योंकि पाकिस्तान ने अपने एयरस्पेस के इस्तेमाल की इजाजत देने से मना कर दिया.