राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि भारत में आज अपार संभावनाएं हैं. कुशल जनशक्ति हर क्षेत्र में उपलब्ध है. विश्वगुरु बनने के लिए पूर्ण अनुकूल स्थितियां हैं. संत शिरोमणि संत रविदास जी के समरसता के सिद्धांतों पर यदि सभी अमल करें तो भारत को विश्वगुरू बनने से कोई नहीं रोक पाएगा. रविदास समाज पंचायत संघ, प्रभाग समिति क्रमांक ५, वसुधा चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा आयोजित संत शिरोमणि संत रविदास जयंती समारोह प्रभादेवी स्थित रवींद्र नाट्य मंदिर में संपन्न हुआ.
संत शिरोमणि संत रविदास जयंती समारोह में सरसंघचालक जी ने कहा कि “मैं स्वयं को सौभाग्यशाली महसूस करता हूं कि मुझे संत रविदास जी के बारे में अपने विचार प्रकट करने का अवसर मिला.” आज भारत जो प्रगति कर रहा है, उसकी जड़ें भारतीय संतों की परंपरा में हैं. संत रविदास जी इसके अभिन्न अंग हैं. उनके काम और उनके काम के परिणामों को देखकर ही समकालीन संतों ने उन्हें संत शिरोमणि की उपाधि दी थी.
मोहन भागवत जी ने कहा कि वित्तीय लाभ के कारण गलत परम्परा का एक ढांचा तैयार किया गया था. इसने एक दमनकारी व्यवस्था बनाई. इसने हमारी आत्मीयता को मार डाला और विदेशी ताकतों को हमें बांटने का अवसर प्राप्त हुआ, पहले सिर्फ लूट के लिए आक्रमण होता था. इस्लामी आक्रमण के बाद स्थिति और भी बदल गई. द में एक ऐसा हमला हुआ, जिसने हमारी व्यवस्था को जड़ से बदल दिया.
संत रविदास जी को सत्य का बोध हुआ, उनका जुनून सत्य की खोज था. उन्होंने जोर देकर कहा कि ज्येष्ठ-कनिष्ठ का विचार सरासर गलत है. सत्य, करुणा, आंतरिक पवित्रता और निरंतर कड़ी मेहनत रविदास जी का उपदेश था. उन्हें पता था कि परंपरा से क्या रखना है और क्या फेंकना है. संत रविदास जी की आध्यात्मिक शक्ति के कारण अनेक प्रतिष्ठित लोग उनके शिष्य बने.
संत रविदास जी ने सदाचारी बनकर सम्मान पाने का संदेश दिया. संत रविदास जी वैरागी थे, इसलिए वे सत्य कह सकते थे. देश को विश्वगुरु बनाने के लिए हर भारतीय में संत रविदास जी की वैराग्य भावना होनी चाहिए.
सद्भाव एक उन्नत समाज की नींव है. होठों पर आज सद्भाव दिख रहा है. यह अंतर्मन से आना चाहिए, आइए हम सब प्रयास करें. भागवत जी ने यह कहते हुए निष्कर्ष निकाला कि संत रविदास जी ने प्रत्येक मामले में कैसा व्यवहार किया, आइए हम इसका अध्ययन करें, अभ्यास करें और देश को आगे बढ़ाएं. कार्यक्रम स्थल पर आने से पहले उन्होंने फिर यहां संत रविदास जी भवन का निरीक्षण भी किया.