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संभल हिंसा में सपा नेताओं को उपद्रियों से मुलाकात कराने पर जेलर और डिप्टी जेलर सस्पेंड

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- पूर्व सांसद एस.टी. हसन 15 नेताओं के साथ मुलाकात के लिए गए थे जेल 

- नेताओं ने आरोपियों को कानूनी सहायता देने का आश्वासन दिया

- घटना के बाद जेल में बढ़ाई गई चौकसी, मुलाकात पर लगी रोक

संभल। संभल हिंसा मामले में आरोपियों से समाजवादी पार्टी (सपा) के नेताओं की मुरादाबाद जेल में मुलाकात ने राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में नई बहस छेड़ दी है। इस प्रतिनिधिमंडल में सपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद एस.टी. हसन ने नेतृत्व किया, जिनके साथ पार्टी के विधायक और कार्यकर्ता भी शामिल थे। सुरक्षा मानकों में लापरवाही को लेकर सरकार ने गंभीरता दिखाते हुए जेलर और डिप्टी जेलर को सस्पेंड कर दिया। 

घटना का विवरण :

मुलाकात का उद्देश्य: सपा नेताओं ने जेल में बंद हिंसा के आरोपियों से मिलने के बाद दावा किया कि इनमें से कई निर्दोष हो सकते हैं और उन्हें झूठे मामलों में फंसाया गया है। नेताओं ने आरोपियों को कानूनी सहायता देने का आश्वासन दिया।

प्रतिनिधिमंडल की टीम: इसमें पूर्व सांसद एस.टी. हसन के साथ अमरोहा के नौगांवा सादात से विधायक समरपाल सिंह, ठाकुरद्वारा के विधायक नवाब जान खां सहित 15 नेता शामिल थे ।

प्रशासनिक कार्रवाई :

मुलाकात के तुरंत बाद, जेल प्रशासन पर नियमों के उल्लंघन और सुरक्षा मानकों में लापरवाही का आरोप लगा। इसके परिणामस्वरूप, मुरादाबाद जेल के जेलर और डिप्टी जेलर को सस्पेंड कर दिया गया। अधिकारियों ने इसे अनुशासनहीनता और कानून-व्यवस्था के लिए खतरा बताया।

राजनीतिक विवाद :

इस घटना पर सत्तारूढ़ बीजेपी और विपक्षी सपा के बीच तीखी बयानबाजी हुई।

बीजेपी का पक्ष: भाजपा नेताओं ने आरोप लगाया कि सपा आरोपियों के साथ खड़ी होकर हिंसा को बढ़ावा दे रही है और यह समाज में अस्थिरता फैलाने का प्रयास है।

सपा का बचाव: सपा ने कहा कि उनकी मुलाकात का उद्देश्य निर्दोषों की मदद करना है, न कि किसी कानून-विरोधी गतिविधि का समर्थन करना।

सामाजिक और प्रशासनिक प्रभाव :

1. कानून-व्यवस्था पर सवाल: इस मुलाकात ने जेल में सुरक्षा मानकों और प्रशासनिक प्रक्रियाओं पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

2. राजनीतिक तनाव: यह घटना उत्तर प्रदेश में आगामी चुनावों के संदर्भ में राजनीतिक संघर्ष को और गहरा कर सकती है।

3. मीडिया और जनता की प्रतिक्रिया: इस घटना को लेकर सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों पर व्यापक चर्चा हो रही है, जहां लोग इसे कानून और नैतिकता का मुद्दा मान रहे हैं।

विस्तृत संदर्भ :

संभल में हाल ही में हुई हिंसा के दौरान पथराव, तोड़फोड़, और आगजनी की घटनाएं हुई थीं, जिनमें पांच लोगों की मौत हो गई थी।

हिंसा के बाद पुलिस ने 100 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया, जिनमें कुछ महिलाएं और नाबालिग भी शामिल हैं।

सपा के आरोपियों से जेल में मुलाकात को भाजपा ने "सहानुभूति की राजनीति" करार दिया, जबकि सपा ने इसे मानवाधिकारों का मुद्दा बताया।