लखनऊ में टीले वाली मस्जिद और लक्ष्मण टीला के विवाद में कोर्ट से
बड़ा फैसला आया है। बुधवार को सिविल जज जूनियर डिवीजन अभिषेक गुप्ता ने मुस्लिम पक्ष
की याचिका खारिज कर दी। मुस्लिम पक्ष ने दावा किया था कि टीले वाली मस्जिद की जमीन
वक्फ की है, लेकिन
कोर्ट ने इस दावे को खारिज कर दिया। मुस्लिम पक्ष ने याचिका दायर कर कहा था कि यह
जमीन मुसलमानों की है और वक्फ के अधीन आती है। लखनऊ
जनपद न्यायालय के सिविल जज जूनियर डिवीजन ने सुनवाई के बाद मुस्लिम पक्ष का दावा
खारिज कर दिया है। हिंदू पक्ष के अधिवक्ता नृपेंद्र पाण्डेय का कहना है, ” न्यायालय
ने इस बात को माना है कि यह एक सिविल विवाद है। सर्वे कमीशन की सुनवाई अगली 11 जुलाई
को होगी।”
बता
दें कि वर्ष 2018 में
लक्ष्मण टीले के पास नगर निगम के पार्क में लक्ष्मण जी की मूर्ति लगाने के
प्रस्ताव का मस्जिद के मौलाना ने विरोध किया था। जबकि, लक्ष्मण
जी की मूर्ति लगाने का प्रस्ताव नगर निगम की कार्यकारिणी से पास किया गया था। इस
मामले में उस समय वसीम रिजवी ने खुलासा किया था कि मूर्ति लगाये जाने का विरोध
करने वाले मौलाना और शाही इमाम ने खुद ही गलत तरीके से मस्जिद में निर्माण कराया
था। इस मामले में वो लोग अभियुक्त भी राह चुके हैं। इसका खुलासा सूचना के अधिकार
के अंतर्गत मांगे गए एक पत्र के जवाब में पहले ही हो चुका है।
लखनऊ के निवासी अजय वाजपेयी ने 27 सितम्बर 2017 को
आर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया (ASI) को सूचना
के अधिकार के अंतर्गत पत्र लिख कर यह जानकारी मांगी थी कि टीले वाली मस्जिद में
निर्माण कराया गया जबकि इमामबाड़े के 100 मीटर के
दायरे में कोई भी निर्माण कराने पर आर्केलाजिकल सर्वे आफ इंडिया ने रोक लगा रखी
है। इस सम्बन्ध में क्या कारवाई की गयी? उक्त पत्र
का जवाब देते हुए आर्केलाजिकल सर्वे आफ इंडिया की तरफ से यह बताया गया था कि
इमामबाड़े के 100
मीटर के क्षेत्र में निर्माण पर
प्रतिबन्ध है।
इसके बावजूद वहां पर निर्माण
कराया गया। इस पर ऑर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया ने सम्बंधित लोगों के खिलाफ 9.8.2016 को अवैध निर्माण कराने के आरोप में
एफआईआर दर्ज कराया था और उनको कारण बताओ नोटिस भी दी गयी थी। आर्केलाजिकल सर्वे आफ
इंडिया ने अपने पत्र के तीसरे पैराग्राफ में लिखा है कि कारण बताओ नोटिस और एफआईआर
की कार्रवाई के गयी थी।