-ATS ने कई मदरसों पर छापेमारी कर दस्तावेज खंगाले।
उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में उत्तर प्रदेश एंटी-टेररिज्म स्क्वाड (ATS) ने कई मदरसों पर छापा मारा और उनके संचालन व फंडिंग से जुड़े दस्तावेजों की जांच की। इस कार्रवाई में ATS ने इन मदरसों के फंडिंग स्रोतों, प्रशासनिक प्रक्रियाओं और उनके पंजीकरण से संबंधित जानकारियों को खंगाला।
छापेमारी का कारण और उद्देश्य-
ATS ने हाल ही में गोंडा के अलावा राज्य के अन्य जिलों में भी मदरसों पर निगरानी बढ़ाई है। इसका मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि मदरसों में आने वाला धन किसी गलत गतिविधि में इस्तेमाल न हो और सभी वित्तीय लेन-देन पारदर्शी हों। उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में चल रहे सभी मदरसों का सर्वेक्षण और पंजीकरण कराने के निर्देश दिए थे ताकि अवैध गतिविधियों पर नियंत्रण लगाया जा सके। इसी के तहत ATS ने कई मदरसों पर छापेमारी कर दस्तावेज खंगाले।
जांच में मिली अनियमितताएं-
ATS की टीम ने मदरसों से उनकी फंडिंग के स्रोत, आय-व्यय के दस्तावेज और संचालन से संबंधित कागजात की जानकारी मांगी। कई मदरसे इस संबंध में कोई ठोस जानकारी नहीं दे पाए और उनकी ओर से वित्तीय जानकारी अस्पष्ट रही। टीम ने पाया कि कुछ मदरसे फंडिंग से जुड़े प्रश्नों का स्पष्ट जवाब देने में असमर्थ थे, जिससे उनके वित्तीय स्रोतों पर संदेह पैदा हुआ। कई मदरसों में आय-व्यय का लेखा-जोखा और फंडिंग के स्रोतों के दस्तावेज भी अधूरे पाए गए।
फंडिंग के स्रोत और प्रशासनिक प्रक्रियाओं पर फोकस-
ATS ने यह सुनिश्चित करने के लिए भी दस्तावेज खंगाले कि कहीं मदरसे विदेशी फंडिंग का इस्तेमाल तो नहीं कर रहे। इसके अलावा, यह देखा गया कि मदरसों के संचालन में नियमों का पालन हो रहा है या नहीं। मदरसा शिक्षा विभाग द्वारा राज्य के सभी मदरसों को नियमित रूप से पंजीकृत करने और उनके संचालन को पारदर्शी बनाने की प्रक्रिया चल रही है। ऐसे में, ATS की कार्रवाई इस नीति को और प्रभावी बनाने का एक हिस्सा मानी जा रही है।
सरकार की नीति और मदरसों में सुधार का उद्देश्य-
उत्तर प्रदेश सरकार राज्य में संचालित मदरसों की शिक्षा व्यवस्था, फंडिंग और संचालन पर कड़ी निगरानी रख रही है। सरकार का उद्देश्य यह है कि मदरसों का संचालन पारदर्शी और नियमों के अनुसार हो ताकि धार्मिक शिक्षा के नाम पर कोई अनुचित गतिविधि न हो सके।
स्थानीय प्रशासन और समुदाय का रुख-
ATS की इस कार्रवाई से कई स्थानीय मदरसा संचालकों और समुदाय के लोगों में चिंता देखी गई है। उनका कहना है कि अगर इस प्रक्रिया में किसी मदरसे ने कोई अनियमितता नहीं की है, तो उसे डरने की आवश्यकता नहीं है। हालांकि, यह भी माना जा रहा है कि अगर किसी मदरसे में वित्तीय अनियमितता पाई जाती है, तो उस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
गोंडा में हुई इस छापेमारी से यह साफ है कि उत्तर प्रदेश सरकार मदरसों की फंडिंग और संचालन को पारदर्शी बनाने के लिए कड़े कदम उठा रही है। ऐसे में भविष्य में अन्य जिलों में भी ऐसी कार्रवाई होने की संभावना है।