• अनुवाद करें: |
मुख्य समाचार

महाकुंभ 2025: स्क्रीन टच करते ही मिलेगा संगम का रास्ता

  • Share:

  • facebook
  • twitter
  • whatsapp

- स्नान पर्व की तिथियाँ और ट्रेनों की जानकारी

- मकर संक्रांति, मौनी अमावस्या, माघी पूर्णिमा और महाशिवरात्रि जैसी तिथियाँ प्रमुख

- आध्यात्मिक अनुभव के साथ ही आरामदायक यात्रा का भी अनुभव होगा

प्रयागराज। प्रयागराज में 2025 में होने वाले महाकुंभ मेला में श्रद्धालुओं के लिए नई और उपयोगी सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं। अब श्रद्धालु केवल एक स्क्रीन टच करके त्रिवेणी संगम तक पहुँचने का रास्ता जान सकेंगे। इसके अलावा, स्नान पर्व की तिथियों और कुंभ मेले के दौरान चलने वाली ट्रेनों के बारे में भी जानकारी मिल जाएगी, जिससे यात्रा और स्नान के आयोजन में कोई परेशानी नहीं होगी।

महत्वपूर्ण स्नान पर्व तिथियाँ : महाकुंभ मेला में प्रमुख स्नान पर्वों की तिथियाँ पहले से घोषित की जा चुकी हैं। इनमें विशेष रूप से मकर संक्रांति, मौनी अमावस्या, माघी पूर्णिमा और महाशिवरात्रि जैसी तिथियाँ प्रमुख हैं, जिन पर लाखों श्रद्धालु संगम में स्नान करने के लिए जुटेंगे। इन प्रमुख तिथियों की सूची इस प्रकार है:

• मकर संक्रांति : 14 जनवरी 2025

• पौष पूर्णिमा : 13 जनवरी 2025

• मौनी अमावस्या : 29 जनवरी 2025

• बसंत पंचमी : 3 फरवरी 2025

• माघी पूर्णिमा : 12 फरवरी 2025

• महाशिवरात्रि : 26 फरवरी 2025


ट्रेन और परिवहन व्यवस्था : कुंभ मेले में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए रेल व्यवस्था को सुचारू बनाने के लिए समय सारणी और मार्गों के बारे में ऑनलाइन जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी। यह सुविधा श्रद्धालुओं को बेहतर यात्रा अनुभव प्रदान करेगी। इसके अलावा, रेलवे अधिकारियों ने पहले से ही ट्रेनों की बुकिंग और यात्रा के समय को लेकर खास इंतजाम किए हैं ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की समस्या का सामना न करना पड़े।

नई डिजिटल सुविधाएँ : इस बार, महाकुंभ मेला को और भी सरल बनाने के लिए नई तकनीकी पहल की गई है। श्रद्धालु एक ऐप या वेबसाइट के माध्यम से संगम तक पहुँचने का रास्ता देख सकते हैं और साथ ही अपनी यात्रा की योजना भी बना सकते हैं। साथ ही, ट्रेनों की जानकारी और स्नान पर्वों की तिथियों का भी विवरण डिजिटल माध्यम से प्राप्त किया जा सकेगा, जिससे लोग आसानी से समय पर और बिना किसी परेशानी के आयोजन में शामिल हो सकेंगे।

महाकुंभ 2025 न केवल एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह डिजिटल परिवर्तन और सुविधाओं के संदर्भ में भी एक मील का पत्थर साबित होने जा रहा है। श्रद्धालु अब ज्यादा जानकारी प्राप्त कर सकते हैं और अपनी यात्रा को सुगम बना सकते हैं, जिससे उन्हें आध्यात्मिक अनुभव के साथ ही आरामदायक यात्रा का भी अनुभव होगा।