- सीएम ने कहा सिख गुरुओं का बलिदान पूरे भारतीय समाज के लिए एक प्रेरणा स्रोत बनेगा
- सिख गुरुओं ने हिंदू धर्म की रक्षा के लिए अपने प्राणों की दी थी आहुति
- सरकार का यह फैसला सिखों के प्रति सम्मान और भारतीय समाज के सामूहिक गौरव का प्रतीक
लखनऊ। लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक महत्वपूर्ण घोषणा करते हुए बताया कि राज्य के स्कूली पाठ्यक्रम में सिख गुरुओं के बलिदान और उनके योगदान को शामिल किया जाएगा। यह निर्णय सिख धर्म और उसकी शहादतों के प्रति सम्मान को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लिया गया है। मुख्यमंत्री ने यह घोषणा 'साहिबजादा दिवस' के मौके पर की, जो सिखों के 10वें गुरु गोविंद सिंह के चार पुत्रों और उनकी मां माता गुजरी की शहादत को समर्पित होता है।
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यह कदम न केवल सिख समाज के योगदान को पहचानने के लिए है, बल्कि यह पूरे भारतीय समाज के लिए एक प्रेरणा स्रोत बनेगा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारतीय इतिहास के इस महत्वपूर्ण हिस्से को युवा पीढ़ी के बीच सही तरीके से प्रस्तुत किया जाएगा, ताकि वे सिख गुरुओं की शहादत और उनके बलिदान को समझ सकें।
'साहिबजादा दिवस' का महत्व: साहिबजादा दिवस हर साल 27 दिसंबर को मनाया जाता है, जो सिख धर्म के चार साहिबजादों (गुरु गोविंद सिंह के चार पुत्रों) की शहादत को याद करने के लिए होता है। ये साहिबजादे अपने धर्म और माता-पिता के आदर्शों का पालन करते हुए अपनी जान की आहुति देने के लिए प्रसिद्ध हैं।
शिक्षा का उद्देश्य: मुख्यमंत्री ने कहा, “सिख गुरुओं ने हिंदू धर्म की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। यह बलिदान हमेशा भारतीय समाज की प्रेरणा रहेगा।” उन्होंने यह भी कहा कि इस कदम से उत्तर प्रदेश के विद्यार्थियों में राष्ट्रीय एकता और भाईचारे की भावना को प्रोत्साहन मिलेगा, साथ ही वे भारतीय इतिहास और सिख धर्म के महत्व को समझ सकेंगे।
स्कूलों में पाठ्यक्रम का समावेश: अब से उत्तर प्रदेश के स्कूलों में सिख गुरुओं के बलिदान और उनकी शिक्षाओं को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाएगा। इस पहल से विद्यार्थियों को न केवल सिख धर्म के इतिहास की जानकारी होगी, बल्कि वे भारतीय संस्कृति की विविधता और समृद्धि को भी समझ सकेंगे।
इस फैसले को लेकर सिख समुदाय ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का धन्यवाद किया और इसे सिख धर्म के प्रति सम्मान और भारतीय समाज के सामूहिक गौरव का प्रतीक बताया।