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राष्ट्र निर्माण में मीडिया की मजबूत भूमिका होनी चाहिए – दत्तात्रेय होसबाले जी

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हरिद्वार, उत्तराखण्ड

देव संस्कृति विश्वविद्यालय में शुक्रवार को राष्ट्र निर्माण में मीडिया की भूमिका विषय पर राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। सम्मेलन का शुभारंभ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले जी, दे.सं.वि.वि. के कुलपति शरद पारधी जी, प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पण्ड्या जी, पूर्व सांसद तरुण विजय सहित अन्य अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलन कर किया। सम्मेलन में कुल पाँच सत्र हुए, जिनमें वक्ताओं ने मीडिया से भारत को विकसित बनाने में योगदान देने का आह्वान किया।

मुख्य अतिथि दत्तात्रेय होसबाले जी ने कहा कि मीडिया को सशक्त भूमिका निभानी चाहिए। अपने देश व धर्म की सुरक्षा के लिए हरसंभव प्रयास करते रहना चाहिए। राष्ट्र निर्माण में मीडिया की विशेष भूमिका है। स्वाधीनता के समय में भी हमारे नायकों ने मीडिया के कई माध्यमों का उपयोग किया और जन जागरण में मीडिया की उपयोगिता सिद्ध की। पत्रकारों का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि सभी को अपनी जिम्मेदारी ईमानदारी के साथ निभानी चाहिए। समाज के सशक्तीकरण व नारी जागरण जैसे विषयों पर अपनी योग्यता का पूरा उपयोग करते रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि राष्ट्र निर्माण में मीडिया की मजबूत भूमिका होनी चाहिए।

अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ चिन्मय पण्ड्या ने कहा कि पत्रकारों को संवेदनशील होना चाहिए और वे ऐसे समाचारों का ही विस्तार करें, जो समाज व राष्ट्र के विकास में सहायक हों। आज जिस तरह से असुरता, अनीतिऔर भ्रष्टाचार ने अपना पैर पसारा है, उसे अब जड़ से मिटाने का समय आ गया है। प्राच्यम स्टूडियोज के सीईओ प्रवीण चतुर्वेदी, सुदर्शन चैनल के मुख्य संपादक सुरेश चव्हाणके, पूर्व सूचना आयुक्त उदय माहूरकर, पूर्व राज्यसभा सदस्य तरुण विजय ने भी मीडिया की भूमिका पर विचार साझा किए। पांच सत्रों में दिल्ली, बिहार, झारखण्ड, उ.प्र., उत्तराखण्ड, महाराष्ट्र, म.प्र. सहित अनेक राज्यों से आए मीडिया जगत के प्रतिष्ठित व्यक्तियों, लेखकों, फिल्मकार, पत्रकारों ने मीडिया की भूमिका पर विचार-विमर्श किया। इस बात पर बल दिया कि आज के समय में मीडिया केवल सूचना का स्रोत नहीं, बल्कि राष्ट्र को दिशा देने वाला एक सशक्त माध्यम बन चुका है। इस दौरान अखिल विश्व गायत्री परिवार के सैकड़ों स्वयंसेवक सदस्य भी उपस्थित रहे और आयोजन को वैचारिक व सांस्कृतिक दृष्टि से समृद्ध किया। देव संस्कृति विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों ने भी आधुनिक समय में स्पिरिचुअल पत्रकारिता की आवश्यकता पर विशेष चर्चा की। इस दौरान अखण्ड ज्योति की आध्यात्मिक यात्रा पर डॉक्यूमेंट्री, संस्कृति संचार, रिनासा के नये अंक व पुस्तकों का विमोचन किया गया। कुलपति, प्रतिकुलपति ने अतिथियों को दे.सं.वि.वि. का प्रतीक चिह्न, गंगाजली, रुद्राक्षमाला आदि भेंटकर सम्मानित किया।