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क्यों मनाते हैं धनतेरस का त्योहार?

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धनतेरस का त्योहार दीपावली से दो दिन पहले मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार, कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी के दिन समुद्र मंथन से भगवान धन्वंतरि प्रकट हुए थे। उनके हाथों में अमृत का कलश था। भगवान धन्वंतरि को चिकित्सा और स्वास्थ्य का देवता माना जाता है। इसीलिए इस दिन अच्छे स्वास्थ्य और दीर्घायु की कामना की जाती है। इस दिन धन के देवता कुबेर देव और मृत्यु के देवता यमराज की पूजा का भी विशेष महत्व है, बता दें घर के पूजा स्थान पर दीपदान कुबेर देव के लिए किया जाता है, ताकि घर में धन और समृद्धि बनी रहे। वहीं, मुख्य द्वार पर दीपदान यमराज के लिए किया जाता है, ताकि परिवार को अकाल मृत्यु से रक्षा मिले।

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धनतेरस पर क्या-क्या खरीदना शुभ

शास्त्रों के अनुसार इस दिन शुभ वस्तुओं की खरीद करने से घर में पूरे वर्ष सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि बनी रहती है। धनतेरस पर भगवान धन्वंतरि की पूजा करना और सोना या चांदी खरीदना अत्यंत शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि सोना और चांदी देवी लक्ष्मी और कुबेर को प्रिय हैं। सोना वैभव और स्थायित्व का प्रतीक है जबकि चांदी शुद्धता और सौभाग्य का संदेश देती है।

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धातु के बर्तन और झाड़ू

हिंदू मान्यताओं के अनुसार स्वच्छता की प्रतीक झाड़ू में माता लक्ष्मी का वास होता है। इस कारण से धनतेरस पर नई झाड़ू खरीदना शुभ माना गया है। साथ ही धनतेरस पर बर्तन खरीदने की परंपरा भी है। धनतेरस को धन्वंतरि त्रयोदशी भी कहा जाता है क्योंकि इसी दिन भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। इसलिए तांबा, पीतल, चांदी अथवा स्टील के नए बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है।

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धनतेरस 2025 की तिथि

साल 2025 में धनतेरस का पर्व 18 अक्टूबर शनिवार को मनाया जाएगा।

पंचांग के अनुसार, त्रयोदशी तिथि की शुरुआत: 18 अक्टूबर दोपहर 12:18 बजे

त्रयोदशी तिथि का समापन: 19 अक्टूबर दोपहर 1:51 बजे

हिन्दू परंपरा में उदयातिथि यानी सूर्योदय की तिथि को मान्यता दी जाती है, इसलिए धनतेरस का उत्सव 18 अक्टूबर 2025 को ही मनाया जाएगा