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इस्लाम को त्यागकर सनातन में की घरवापसी, महविश बनीं महिमा

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बचपन से भगवान गणेश की भक्त। मांसाहार से पूरी तरह दूरी। हिन्दू धर्म में सर्वधर्म समभाव की भावना से  मुस्लिम युवती मेहविश इतना प्रभावित हुई कि उन्होंने औपचारिक तौर पर इस्लाम त्यागकर घर वापसी कर ली है। मेहविश का जन्म भले ही मुस्लिम परिवार में हुआ हो लेकिन कर्म और संस्कार से वह हमेशा सनातन धर्म के करीब रही। सनातन संस्कार हमेशा उसे सनातन धर्म की ओर आकर्षित करते थे। इस दौरान गणेश भक्त महविश को हिन्दू युवक सरन मौर्य से प्रेम हो जाता है। मेहविश के परिवार वालों को यह रिश्ता पसंद नहीं था। इसलिए दोनों मढ़ीनाथ स्थिति अगस्त्य मुनि आश्रम के महंत आचार्य केके शंखधार की शरण में पहुंचे और विवाह की इच्छा जताई। केके शंखधार ने मेहविश का शुद्धीकरण कराया। फिर विवाह संस्कार कराया। विवाह के बाद मेहविश की नई पहचान अब महिमा मौर्य हो गई। इस दौरान उन्होंने महिमा बनी मेहविश ने कहा कि तीन तलाक, हलाला जैसी कुरीतियों के चलते मैंने मुस्लिम धर्म का त्याग कर दिया है। वहां महिलाओं को कोई सम्मान नहीं मिलता है। महिलाओं के उपर हमेशा तीन तलाक की तलवार लटकती रहती है जबकि हिंदू धर्म में सर्वे भवंतु सुखिन: की भावना है। सबके कल्याण और सुख सम्मान की भावना है इसलिए इस्लाम त्यागकर हिंदू धर्म अपनाया है।