हिमालयी राज्य होने के कारण उत्तराखण्ड में उगने वाले फल और सब्जियों की मांग पूरे देश में है। इसी को देखते हुए प्रदेश के युवा अब इन फलों को जैम, अचार जैसे एग्रो प्रोडक्ट में बदलकर स्वरोजगार कर रहे है। जो सेहत के लिए तो लाभदायक है ही साथ ही आर्थिक रुप से भी लाभ अर्जित करने के दृष्टिकोण से अच्छा है ।
नैनीताल की नेहा इसी दोहरे लाभ को देखते हुए यहां उगने वाले फलों और मसालों से एग्रो प्रोडक्ट बना कर देश के कोने-कोने में पहुंचा रही हैं। उन्होंने अपने ब्रांड को अपने गांव ‘ससबनी ग्राम्य हार्ट’ के नाम पर रखा है, जहां नेहा गांव के लोगों के साथ मिल कर एग्रो प्रोडक्ट्स को तैयार करती हैं। नेहा ने बताया कि वह लॉ ग्रेजुएट हैं। और पहाड़ से जुड़ा कुछ काम करना चाहती थी। इस वजह से उन्होंने डेढ़ साल पहले अपने ब्रांड की शुरुआत की और पहाड़ के उत्पादों से एग्रो प्रोडक्ट बनाकर उसे देश के कोने-कोने तक पहुंचा रही है।
नेहा बताती हैं कि वह इसके अलावा त्योहारों के सीजन के लिए अपने उत्पादों के गिफ्ट हैंपर भी तैयार करती हैं। इन उद्योगो से प्रति वर्ष उन्हें एक करोड़ रुपये से अधिक की आमदनी हो जाती है साथ ही, आज हम अपने साथ कई स्थानीय लोगों को रोजगार से जोड़कर उन्हें भी आत्मनिर्भर बना रहे हैं। स्पष्ट है प्रधानमंत्री मोदी के वोकल फॉर लोकल से जो वातावरण बना है उसने स्वरोजगार के क्षेत्र में एक नए अध्याय की शुरुआत की है। नौकरी की तलाश कर रहे युवाओं को इस सच को स्वीकार करना ही पड़ेगा किआत्मनिर्भर होने के लिए स्वरोजगार ही सबसे अच्छा विकल्प है।
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उत्तराखण्ड: लॉ ग्रेजुएट नेहा ने पकड़ी स्वरोजगार की राह, गाँव के नाम पर रखा अपने ब्रांड का नाम
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