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इतिहास

सांस्कृतिक दृष्टिकोण से होते हैं राष्ट्र के प्रश्न हल-श्री गुरूजी

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संघ संस्मरण

 द्वितीय सरसंघचालक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ

सांस्कृतिक दृष्टिकोण से होते हैं राष्ट्र के प्रश्न हल-श्री गुरूजी

अपना यह राष्ट्र दुनिया में बलशाली, सुसंपन्न, वैभव संपन्न बनकर सम्मान से रहना चाहिए। वैसी पात्रता उसमें आनी चाहिए। उसके लिए समष्टि के अंगभूत व्यक्ति समष्टि में रहकर अपना विकास करते हुए पूर्णत्व की ओर जा सकें, ऐसा वातावरण निर्माण करने वाली समाज -रचना हो । अंतःस्फूर्ति से, परस्पर स्नेहपूर्ण, सहयोगपूर्ण, एकात्म भाव से प्रभावित ऐसा व्यवहार हो। उस व्यवहार के आधार पर आर्थिक या अन्य तात्कालिक प्रश्न हल करने की योजना बनानी चाहिए। सांस्कृतिक दृष्टिकोण से राष्ट्र के प्रश्न हल करने का यह मार्ग है। यह एक स्वाभाविक विचार- परंपरा है। यह सारा विचार संभवतः कठिन लग सकता है, परंतु वास्तव में समझने के लिए वह कठिन नहीं है। यह विचार एक बार मन में जम जाए तो उसके साथ ही उस विचार की सफलता के लिए जीवन में अनुकूल परिवर्तन लाने की आवश्यकता निर्माण होती है।

श्री गुरूजी समग्र, खंड-2, प्रथम संस्करण, सुरुचि प्रकाशन, पृष्ठ 34-35