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महिलाओं को लोक संस्कृति के प्रति आत्मनिर्भर बना रहीं पद्मश्री डॉ. माधुरी

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देहरादून, उत्तराखण्ड

उत्तराखण्ड अपनी लोक संस्कृति, गीतों और नृत्यों के लिए पूरे विश्व में जाना जाता है। लेकिन समय के साथ यह परंपराएं धीरे-धीरे विलुप्त होती जा रही थीं। इसलिए उत्तराखण्ड की प्रसिद्ध लोकगायिका पद्मश्री डॉ. माधुरी बड़थ्वाल ने इस परंपराएं को बचाने और नई पीढ़ी तक पहुँचाने के लिए पहल शुरु की, जी हां डॉ. माधुरी बड़थ्वाल पिछले 15 वर्षो से महिलाओं को निशुल्क लोकगीत, लोकनृत्य और वाद्ययंत्रों का प्रशिक्षण दे रही हैं। इनमें ज्यादातर महिलाएं गृहिणियां हैं, जो मांगल गीत, ढोल-दमाऊं, हुड़का वादन, लोकनृत्य, लोकगाथा और अभिनय सीख रही हैं। आज के समय में उनके पास 20-20 महिलाओं के तीन से चार दल तैयार हो चुके हैं, बता दें डॉ. माधुरी वर्तमान में देहरादून के नथुआवाला स्थित दूरदर्शन कॉलोनी में रहती हैं।

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वह उत्तराखंड लोक संगीत के प्रचार-प्रसार के लिए निरंतर कार्य कर रही हैं। उनका यह प्रयास महिलाओं को भी समाज में नई पहचान दिला रहा है। पहले जहां महिलाओं के गाने-बजाने को अच्छा नहीं माना जाता था, वहीं अब वे मंचों पर सम्मान के साथ प्रस्तुति दे रही हैं। डॉ. माधुरी बड़थ्वाल न केवल लोकगायिका हैं बल्कि उत्तराखंड की संस्कृति को दोबारा से जीवित करने वाली एक सशक्त महिला भी हैं।  उनके प्रयासों से आज महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं और लोकगीत-नृत्य नई पीढ़ी तक पहुँच रहा है और समाज को प्रेरणा दे रही है।