पौड़ी, उत्तराखण्ड
कोरोना काल के कठिन दौर में जब जीवन की रफ्तार थम सी गई थी..
तब कुलदीप जोशी ने आपदा को अवसर में बदल दिया
और गाँव लौटकर आत्मनिर्भरता की ऐसी मिसाल गढ़ दी, जो आज दूसरे लोगों के लिए प्रेरणा बन गई है...
उत्तराखंड के पौड़ी के पहाड़ों पर संकरी पगडंडियों के बीच बसे छोटे से गांव पातल के निवासी हैं कुलदीप जोशी..
कोरोना से पहले कुलदीप शहर में नौकरी कर रहे थे... जब लॉकडाउन लगा तो उन्हें घर की ओर लौटना पड़ा... लेकिन कुलदीप ने हार नहीं मानी.. और उद्यान विभाग की सहायता से अपने खेतों में 200 कीवी पौधे लगाए और यहीं से शुरू हुआ उनका नया सफर।
शुरुआत में यह प्रयोग कई लोगों को जोखिम भरा लगा, लेकिन कुलदीप ने आधुनिक तकनीक, कड़ी मेहनत और सरकारी से इस प्रयास को सफल व्यवसायिक खेती में बदल दिया। आज उनके खेतों में कीवी की हर बेल उनके संघर्ष और आत्मविश्वास की कहानी कह रही है।

-मेहनत, आधुनिक खेती और सरकारी मदद से कमाल
-इस वर्ष 6 क्विंटल तक कीवी उत्पादन
-दो स्टोरेज यूनिट्स से उत्पाद का सुरक्षित भंडारण
-लाखों की आमदनी से बने आत्मनिर्भर किसान

कुलदीप जोशी का कहना है कि इस साल 5 से 6 क्विंटल कीवी का उत्पादन हुआ है, जो उनके निजी स्टोरेज यूनिट्स में सुरक्षित रखा गया है। लगभग 1 क्विंटल फल अभी भी पेड़ों पर लदे हैं। जबकि 1 से 1.5 क्विंटल कीवी बेचकर इस वर्ष अभी तक 2.50 लाख की आय हो चुकी है।
अब कुलदीप जोशी न केवल अपने गांव में बल्कि पूरे क्षेत्र में आधुनिक किसान के रूप में पहचाने जाते हैं। वे अन्य किसानों को भी प्रेरित कर रहे हैं कि सरकारी योजनाओं का लाभ उठाकर खेती को रोजगार और आत्मनिर्भरता का साधन बनाया जा सकता है। कुलदीप कहते हैं जब सरकार और किसान एक साथ चलते हैं,तो आत्मनिर्भरता सपना नहीं सच्चाई बन जाती है। कुलदीप जोशी की यह कहानी केवल एक व्यक्ति की सफलता नहीं बल्कि एक आर्थिक क्रांति का प्रतीक है जो यह सिद्ध करती है कि पहाड़ की मिट्टी में भी भविष्य की समृद्धि के बीज छिपे हैं।



