9 जनवरी 2023 को प्रवासी भारतीय दिवस पर विशेष
प्रत्येक
वर्ष
9 जनवरी
को
भारत
में
प्रवासी
भारतीय
दिवस
मनाया
जाता
है।
भारत
के
आर्थिक
विकास
में
प्रवासी
भारतीयों
के
अमूल्य
योगदान
को
इस
दिन
विशेष
रूप
से
याद
किया
जाता
है।
इस
वर्ष
भी
इस
शुभ
अवसर
पर
दिनांक
8 जनवरी
से
10 जनवरी
2023 तक
मध्य
प्रदेश
के
इंदौर
नगर
में
17वां
प्रवासी
भारतीय
दिवस
समारोह
आयोजित
किया
गया
है।
इस
विशेष
आयोजन
में
प्रथम
दिन,
अर्थात
8 जनवरी
2023 को
यूथ
प्रवासी
भारतीय
दिवस
मनाया
जाएगा।
दूसरे
दिन,
अर्थात
9 जनवरी
2023 को
17वां
प्रवासी
भारतीय
दिवस
कन्वेंशन
2023 का
शुभारंभ
होगा
और
तीसरे
दिन,
अर्थात
10 जनवरी
2023 को
17वें
प्रवासी
भारतीय
दिवस
कन्वेंशन
का
समापन
होगा।
उक्त
कार्यक्रमों
में
भारत
के
प्रधानमंत्री
माननीय
श्री
नरेन्द्र
मोदी
एवं
भारत
की
महामहिम
राष्ट्रपति
श्रीमती
द्रौपदी
मुर्मू
की
भी
भागीदारी
रहेगी।
आज
पूरे
विश्व
में
3.2 करोड़
से
अधिक
अप्रवासी
भारतीय
निवास
कर
रहे
हैं।
करीब
25 लाख
भारतीय
प्रतिवर्ष
भारत
से
अन्य
देशों
में
प्रवास
के
लिए
चले
जाते
हैं।
विदेश
में
बस
रहे
भारतीयों
ने
भारतीय
संस्कृति
का
झंडा
बुलंद
करते
हुए
भारत
की
साख
को
न
केवल
मजबूत
किया
है
बल्कि
इसे
बहुत
विश्वसनीय
भी
बना
दिया
है।
प्रवासी
भारतीयों
ने
अपनी
कार्यशैली
से
अन्य
देशों
में
स्वयं
को
तो
स्थापित
किया
ही
है,
साथ
ही
इन
देशों
में
अपने
लिए
कई
अनगिनित
उपलब्धियां
भी
अर्जित
की
हैं।
इन
देशों
में
निवास
कर
रहे
प्रवासी
भारतीय
वहां
के
आर्थिक,
सामाजिक,
सांस्कृतिक
एवं
राजनैतिक
क्षेत्रों
में
अपनी
भागीदारी
भी
बढ़ाते
जा
रहे
हैं।
तीन
विभिन्न
कालखंडों
में
भारतीय
विभिन्न
देशों
में
प्रवास
पर
भेजे
गए
थे
अथवा
वे
स्वयं
गए
थे।
सबसे
पहिले
तो
भारत
पर
अंग्रेजों
के
शासनकाल
के
दौरान
लाखों
की
संख्या
में
भारतीय,
श्रमिकों
के
तौर
पर,
ब्रिटिश
कालोनियों
(ब्रिटेन
द्वारा
शासित
देशों)
में
भेजे
गए
थे।
आज
इन
देशों
में
भारतीयों
की
आगे
आने
वाली
पीढ़ियां
बहुत
प्रभावशाली
बन
गई
हैं
एवं
इनमें
से
कुछ
तो
इन
देशों
में
प्रधानमंत्री
अथवा
राष्ट्रपति
के
पदों
तक
पहुंच
गए
हैं।
भारत
द्वारा
अंग्रेजों
से
राजनैतिक
स्वतंत्रता
प्राप्त
करने
के
बाद,
एक
बड़ी
संख्या
में
भारतीय
अन्य
देशों
में
जाकर
प्रवासी
भारतीय
के
तौर
पर
बस
गए
थे।
उस
समय
पर
इनमें
से
एक
बहुत
बड़ा
वर्ग
किसी
न
किसी
प्रकार
की
तकनीकी
दक्षता
जैसे
कारीगर,
पलंबर,
इलेक्ट्रिशियन,
आदि
हासिल
किए
हुए
था।
इन
लोगों
को
“ब्लू
कोलर” रोजगार
आसानी
से
उपलब्ध
हो
रहे
थे
और
ये
भारतीय
एक
बड़ी
संख्या
में
अधिकतर
सऊदी
अरब,
यूनाइटेड
अरब
अमीरात,
कतर
एवं
अन्य
मिडिल
ईस्ट
देशों
में
प्रवासी
भारतीय
बनकर
रहने
लगे।
उस
समय
पर
इन
देशों
में
प्रवासी
भारतीयों
को
छोटे
छोटे
दुकानों
पर
भी
रोजगार
आसानी
से
उपलब्ध
हो
रहा
था।
इसके
बाद
1970 के
दशक
एवं
इसके
बाद
के
कालखंड
में
भारत
से
बुद्धिजीवी,
प्रोफेशनल
एवं पढ़े लिखे
वर्ग
के
लोग
भी
अन्य
देशों
की
ओर
आकर्षित
होने
लगे
एवं
अमेरिका,
ब्रिटेन,
कनाडा,
जर्मनी,
फ्रान्स,
इटली
आदि
देशों
में
जाकर
प्रवासी
भारतीय
के
रूप
में
बस
गए।
आज
ये
प्रवासी
भारतीय
इन
देशों
में
इंजीनीयर,
डॉक्टर,
प्रोफेसर,
आदि
अच्छे
पदों
पर
कार्यरत
हैं।
इनमें
से
कई
तो
आज
इन
देशों
की
बड़ी
बड़ी
कम्पनियों
में
मुख्य
कार्यपालन
अधिकारी
के
रूप
में
भी
बहुत
सफलतापूर्वक
कार्य
कर
रहे
हैं।
अमेरिका
एवं
ब्रिटेन
जैसे
अन्य
कई
देशों
में
तो
आज
सबसे
अधिक
डाक्टर
एवं
इंजीनीयर
भारतीय
मूल
के
लोग
ही
हैं
एवं
इन
देशों
के
वित्तीय
क्षेत्र
में
भी
भारतीय
मूल
के
नागरिक
सबसे
अधिक
पाए
जाते
हैं।
इन
देशों
की
अर्थव्यवस्थाओं
को
गति
देने
में
इन
प्रवासी
भारतीयों
की
बहुत
महत्वपूर्ण
भूमिका
है।
एक
और
महत्वपूर्ण
क्षेत्र
जिसमें
आज
भारतीय
मूल
के
नागरिक
इन
देशों
में
लगातार
बहुत
सफल
हो
रहे
हैं
वह
है
राजनीति
का
क्षेत्र।
उक्त
तीन
कालखंडो
में
भारत
से
विभिन्न
देशों
में
गए
भारतीयों
ने
महान
भारतीय
संस्कृति
का
पालन
करते
हुए
इन
देशों
में
भारतीय
मूल
के
नागरिक
के
तौर
पर
अपना
एक
विशेष
स्थान
बना
लिया
है
एवं
इन्होंने
इन
देशों
के
नागरिकों
के
बीच
एक
विशेष
दर्जा
एवं
विश्वास
हासिल
कर
लिया
है।
आज
भारतीय
मूल
के
नागरिक
न
केवल
अपने
अपने
देशों
के
विकास
में
महत्वपूर्ण
भूमिका
निभा
रहे
हैं
बल्कि
अपने
वतन
अर्थात
भारत
माता
की
सेवा
करने
में
भी
किसी
प्रकार
की
कमी
नहीं
रखते
हैं।
इसी
क्रम
में
अभी
हाल
ही
में
विश्व
बैंक
ने
एक
प्रतिवेदन
जारी
कर
बताया
है
कि
विदेशों
में
रह
रहे
भारतीयों
द्वारा
वर्ष
2022 में10,000
करोड़
अमेरिकी
डॉलर
की
राशि
काविप्रेषणभारत
मेंकिए
जाने
की
सम्भावना
है
जो
पिछले
वर्ष
2021 में
किए
गए
8,940 करोड़
अमेरिकी
डॉलर
के
विप्रेषण
की
तुलना
में
12 प्रतिशत
अधिक
है।
पूरे
विश्व
में
विभिन्न
देशों
द्वारा
विप्रेषण
के
माध्यम
से
प्राप्त
की
जा
रही
राशि
की
सूची
में
भारत
का
प्रथम
स्थान
बना
हुआ
है।
प्रवासी
भारतीयों
का
भारत
की
विभिन्न
कम्पनियों
में
विदेशी
निवेश
भी
बहुत
तेज
गति
से
बढ़
रहा
है।
इसका
अच्छा
प्रभाव
यह
भी
देखने
में
आ
रहा
है
कि
प्रवासी
भारतीयों
के
देखादेखी
इन
देशों
के
मूल
निवासी
भी
भारत
में
अपने
विदेशी
निवेश
को
बढ़ा
रहे
हैं
जिसके
चलते
भारत
में
कुल
विदेशी
निवेश
द्रुत
गति
से
बढ़
रहा
है।
इन
विभिन्न
देशों
में
प्रवासी
भारतीय,
भारत
एवं
इन
देशों
के
बीच
विदेशी
व्यापार
एवं
विदेशी
निवेश
के
मामले
में
एक
सेतु
का
कार्य
कर
रहे
हैं।
भारतीय
मूल
के
लोग
इन
देशों
के
कई
संस्थानों
से
भी
जुड़े
हुए
हैं
एवं
इस
इन
संस्थानों
को
भारत
के
प्रति
नरम
रूख
अपनाने
की
प्रेरणा
भी
देते
रहते
हैं।
भारत
को
यदि
विदेशों
में
रह
रहे
भारतीयों
द्वारा
विप्रेषण
के
माध्यम
से
अधिक
राशि
भेजी
जा
रही
है
तो
इससे
भारत
की
आर्थिक
स्थिति
बहुत
मजबूत
हो
रही
है
क्योंकि
इससे
भारत
में
विदेशी
मुद्रा
का
भंडार
लगातार
बढ़
रहा
है,
जो
कि
भारतीय
रुपए
को
अंतरराष्ट्रीय
बाजार
में
स्थिरता
प्रदान
करने
में
मददगार
साबित
हो
रहा
है
एवं
भारत
में
अर्थव्यवस्था
को
गति
एवं
मजबूती
प्रदान
करने
में
सहायक
सिद्ध
हो
रहा
है।
साथ
ही
इससे
भारत
में
नया
निवेश
बढ़
रहा
है
एवं
जिससे
यहां
रोजगार
के
नए
अवसर
निर्मित
हो
रहे
हैं।
इस
प्रकार
भारत
से
बाहर
रह
रहे
भारतीय
मूल
के
नागरिकों
द्वारा
भी
भारत
के
आर्थिक
विकास
में
अपना
अतुलनीय
योगदान
दिया
जा
रहा
है।
विशेष
रूप
से
वर्ष
2014 के
बाद
एक
बड़ा
बदलाव
भी
देखने
में
आ
रहा
है।
वह
यह
कि
अब
भारतीय
मूल
के
लोग
इन
देशों
में
भारत
की
आवाज
बन
रहे
हैं
इससे
इन
देशों
में
भारत
की
छवि
में
लगातार
सुधार
दृष्टिगोचर
है।
पूर्व
के
खंडकाल
में
भारत
की
पहिचान
एक
गरीब
एवं
लाचार
देश
के
रूप
में
होती
थी।
परंतु,
आज
स्थिति
एकदम
बदल
गई
है
एवं
अब
भारत
को
इन
देशों
में
एक
सम्पन्न
एवं
सशक्त
राष्ट्र
के
रूप
में
देखा
जा
रहा
है।
भारतीय
संस्कृति
की
विचारधारा
का
प्रवासी
भारतीय
आज
सही
तरीके
से
प्रतिनिधित्व
कर
रहे
हैं।
आज
अमेरिका,
यूरोप
एवं
अन्य
विकसित
देश
कई
प्रकार
की
समस्याओं
का
सामना
कर
रहे
हैं
एवं
इन
समस्याओं
का
हल
निकालने
में
अपने
आप
को
असमर्थ
महसूस
कर
रहे
हैं।
दरअसल
विकास
का
जो
मॉडल
इन
देशों
ने
अपनाया
हुआ
है,
इस
मॉडल
में
स्पष्ट
रूप
से
दिखाई
दे
रहे
कई
छिद्रों
को
भर
नहीं
पाने
के
कारण
इन
देशों
में
कई
प्रकार
की
समस्याएं
बद
से
बदतर
होती
जा
रही
है।
जैसे
नैतिक
एवं
मानवीय
मूल्यों
में
लगातार
ह्रास
होते
जाना,
सुख
एवं
शांति
का
अभाव
होते
जाना,
इन
देशों
में
निवास
कर
रहे
लोगों
में
हिंसा
की
प्रवृति
विकसित
होना
एवं
मानसिक
रोगों
का
फैलना,
मुद्रा
स्फीति,
आय
की
बढ़ती
असमानता,
बेरोजगारी,
ऋण
का
बढ़ता
बोझ,
डेफिसिट
फायनान्सिंग,प्राकृतिक
संसाधनों
का
तेजी
से
क्षरण
होना,
ऊर्जा
का
संकट
पैदा
हो
जाना,
वनों
के
क्षेत्र
में
तेजी
से
कमी
होना,
प्रतिवर्ष
जंगलों
में
आग
का
लगना,
भूजल
का
स्तर
तेजी
से
नीचे
की
ओर
चले
जाना,
जलवायु
एवं
वर्षा
के
स्वरूप
में
लगातार
परिवर्तन
होते
रहना,
आदि।
इन
सभी
समस्याओं
के
मूल
में
विकसित
देशों
द्वारा
आर्थिक
विकास
के
लिए
अपनाए
गए
पूंजीवादी
मॉडल
को
माना
जा
रहा
है।
भारत
चूंकि
हिंदू
सनातन
संस्कृति
को
मानने
वाले
लोगों
का
देश
है
और
इसे
राम
और
कृष्ण
का
देश
भी
माना
जाता
है,
इसलिए
यहां
हिंदू
परिवारों
में
बचपन
से
ही
“वसुधैव
कुटुम्बमक”, “सर्वे
भवन्तु
सुखिन:” एवं
“सर्वजन
हिताय
सर्वजन
सुखाय” की
भावना
जागृत
की
जाती
है।
अतः
विभिन्न
देशों
में
रह
रहे
भारतीय
मूल
के
नागरिकों
के
लिए
अब
उचित
समय
आ
गया
है
कि
वे
आगे
बढ़कर
महान
भारतीय
सनातन
संस्कृति
का
पालन
करते
हुए
इन
देशों
की
उक्त
वर्णित
समस्याओं
का
हल
निकालने
में
अपना
योगदान
दें।
उक्त
प्रकार
की
समस्यायों
का
हल
निकलने
के
बाद
इन
देशों
के
नागरिकों
का
भारतीय
सनातन
संस्कृति
की
ओर
रुझान
और
अधिक
तेजी
से
बढ़ेगा।
(नोट : ये लेखक के निजी
विचार हैं)