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प्रयागराज महाकुम्भ 2025 में सांस्कृतिक कार्यक्रमों में जनजाति परंपरा की दिखी झलक

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प्रयागराज महाकुम्भ 2025 में सांस्कृतिक कार्यक्रमों में जनजाति परंपरा की दिखी झलक


  • -06 से 10 फरवरी तक अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम द्वारा प्रयागराज महाकुंभ में जनजातीय समागम का आयोजन किया है
  • -देशभर क्षेत्र से आए जनजाति समाज की नृत्य टोलियां पारंपरिक नृत्य कला का प्रदर्शन कर रही हैं

महाकुम्भ नगर, प्रयागराज। वनवासी कल्याण आश्रम द्वारा प्रयागराज महाकुम्भ में चल रहे जनजाति समागम के अंतर्गत सांस्कृतिक कार्यक्रमों में जनजाति संस्कृति एवं परंपरा की झलक देखने को मिली।

06 से 10 फरवरी तक अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम द्वारा प्रयागराज महाकुंभ में जनजातीय समागम का आयोजन किया है। पिछले दो दिनों से जनजाति कार्य मंत्रालय – भारत सरकार, इंदिरा गांधी कला केंद्र और सेवा समर्पण संस्थान के संयुक्त तत्वाधान में जनजाति समागम में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। देशभर क्षेत्र से आए जनजाति समाज की नृत्य टोलियां पारंपरिक नृत्य कला का प्रदर्शन कर रही हैं।

स्वामी कैलाशानन्द गिरि जी धाम, उत्तम धाम, प्राग्ज्योतिष पुरम और छत्तीसगढ़ भवन, चार विभिन्न मंचों पर जनजाति कलाकारों ने अपनी नृत्य कला का प्रदर्शन किया। सुदूर नागालैंड से लेकर विभिन्न राज्यों की नृत्य टोलियां सांस्कृतिक कार्यक्रम में सम्मिलित हुईं।

जनजाति समाज में नृत्य – संगीत यह ईश्वर की आराधना का माध्यम माना जाता है। प्रयागराज में आकर सनातन परम्परा के पवित्र महाकुम्भ में नृत्य के माध्यम से ईश्वर की आराधना करने का अवसर हमें प्राप्त हुआ, ऐसी भावना विभिन्न कलाकारों ने व्यक्त की।