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हिंसा की शिकायतें गंभीर हों तो न्यायालय मूकदर्शक नहीं रह सकता – कलकत्ता उच्च न्यायालय

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हिंसा की शिकायतें गंभीर हों तो न्यायालय मूकदर्शक नहीं रह सकता – कलकत्ता उच्च न्यायालय

- सुवेंदु अधिकारी ने शनिवार को न्यायालय का रुख किया था। उन्होंने याचिका में दावा किया था कि राज्य पुलिस हालात पर काबू पाने में विफल हो रही है और मुर्शिदाबाद, हुगली, उत्तर 24 परगना और कोलकाता में सीएपीएफ की तैनाती की मांग की थी

- सुनवाई के दौरान विपक्ष के वकील ने राज्य के पुस्तकालय सेवा मंत्री सिद्दीकुल्ला चौधरी पर भड़काऊ भाषण देकर हिंसा को उकसाने का आरोप लगाया। बताया गया कि जिले में पहले से मौजूद बीएसएफ जवानों का प्रभावी ढंग से उपयोग नहीं किया जा रहा।


कलकत्ता उच्च न्यायालय ने शनिवार को पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में वक्फ (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ हो रहे हिंसक प्रदर्शनों को देखते हुए जिले में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) की तत्काल तैनाती के आदेश दिए। हिंसा की घटनाओं में अब तक कम से कम तीन लोगों की मौत हो चुकी है।

सुवेंदु अधिकारी ने शनिवार को न्यायालय का रुख किया था। उन्होंने याचिका में दावा किया था कि राज्य पुलिस हालात पर काबू पाने में विफल हो रही है और मुर्शिदाबाद, हुगली, उत्तर 24 परगना और कोलकाता में सीएपीएफ की तैनाती की मांग की थी।

मुख्य न्यायाधीश सौमेन सेन और न्यायमूर्ति राजा बसु चौधरी की विशेष पीठ ने मामले की सुनवाई की और मुर्शिदाबाद जिले में सीएपीएफ की तैनाती का आदेश जारी किया।

सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के जवान पहले से ही मुर्शिदाबाद़ के सूती, शमशेरगंज और धुलियन जैसे हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में तैनात हैं। अब विशेष पीठ के आदेश के बाद यह तैनाती पूरे जिले में लागू होगी।

सुनवाई के दौरान विपक्ष के वकील ने राज्य के पुस्तकालय सेवा मंत्री सिद्दीकुल्ला चौधरी पर भड़काऊ भाषण देकर हिंसा को उकसाने का आरोप लगाया। बताया गया कि जिले में पहले से मौजूद बीएसएफ जवानों का प्रभावी ढंग से उपयोग नहीं किया जा रहा।

राज्य सरकार की ओर से पेश हुए तृणमूल कांग्रेस सांसद कल्याण बनर्जी ने यह तो माना कि याचिका राजनीतिक प्रेरित हो सकती है, लेकिन उन्होंने सीएपीएफ की तैनाती का विरोध नहीं किया।

इस पर न्यायालय ने कहा कि जब हिंसा की शिकायतें इतनी गंभीर हों, तो न्यायालय मूकदर्शक नहीं रह सकता। इसके बाद मुर्शिदाबाद में सीएपीएफ की तैनाती के आदेश जारी किए गए।