- कहा भविष्य में किसी भी प्रकार का धार्मिक तनाव न हो
उत्तरप्रदेश। चित्रकूट तुलसी पीठाधीश्वर जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने दुर्गा पूजा के दौरान हुए कुछ घटनाक्रमों को लेकर चिंता जाहिर की है। उनके अनुसार, कुछ स्थानों पर दुर्गा पूजा और अन्य हिंदू धार्मिक कार्यक्रमों के दौरान अशांति और अनर्थ की घटनाएं सामने आई हैं, जो उनके लिए चिंता का विषय हैं। उन्होंने दावा किया कि ऐसी घटनाएं समाज में धार्मिक तनाव और असामंजस्य पैदा करती हैं।
धार्मिक पूजा के दौरान करते हैं विवाद-
रामभद्राचार्य ने कहा कि समाज में एकता और सद्भाव बनाए रखना महत्वपूर्ण है, लेकिन कुछ असामाजिक तत्व धार्मिक पर्वों के दौरान विवाद उत्पन्न करने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने विशेष रूप से कुछ घटनाओं का उल्लेख किया, जहां कथित तौर पर दुर्गा पूजा पंडालों पर हमले हुए या मूर्तियों को नुकसान पहुंचाया गया। उनके अनुसार, यह न केवल धार्मिक असहिष्णुता को दर्शाता है, बल्कि इससे समाज में अनावश्यक तनाव भी पैदा होता है।
रामभद्राचार्य ने अपने बयान में कहा कि ये घटनाएं एक मुस्लिम समुदाय द्वारा किए गए अत्याचार के रूप में देखी जा रही हैं। उन्होंने इसे हिंदू धर्म के धार्मिक और सांस्कृतिक अधिकारों के प्रति असंवेदनशीलता माना। उनका कहना था कि ऐसे कृत्य हिंदू समाज को आहत करते हैं और समाज में गलत संदेश देते हैं।
धार्मिक सहिष्णुता पर बल-
रामभद्राचार्य ने जोर देकर कहा कि भारत जैसे विविधता वाले देश में सभी धर्मों के प्रति सहिष्णुता और सम्मान की भावना बनाए रखना अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि दुर्गा पूजा और अन्य हिंदू त्योहारों के समय किसी प्रकार का व्यवधान उत्पन्न नहीं होना चाहिए, और इसे सभी को मिलकर सुनिश्चित करना चाहिए।
उनके अनुसार, धार्मिक पर्व केवल आस्था का प्रतीक नहीं होते, बल्कि समाज में सामूहिकता, एकजुटता और आपसी सम्मान की भावना को बढ़ावा देने का अवसर भी होते हैं। इस दृष्टिकोण से, उन्होंने सभी धर्मों के लोगों से आपसी सौहार्द बनाए रखने और एक-दूसरे के पर्वों का सम्मान करने का आग्रह किया।
सरकार से अपेक्षाएं-
रामभद्राचार्य ने कहा कि सरकार को इस तरह की घटनाओं को गंभीरता से लेना चाहिए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। उन्होंने सरकार से यह अपेक्षा भी की कि धार्मिक स्थलों और पर्वों के दौरान पर्याप्त सुरक्षा प्रदान की जाए ताकि इस प्रकार की घटनाओं पर रोक लगाई जा सके।
उन्होंने आग्रह किया कि सभी समुदायों को मिलकर कार्य करना चाहिए ताकि भविष्य में किसी भी प्रकार का धार्मिक तनाव न हो और हर किसी को अपने त्योहार शांतिपूर्वक मनाने का अधिकार मिले।
रामभद्राचार्य का यह बयान भारतीय समाज में धार्मिक सहिष्णुता और आपसी सम्मान की आवश्यकता को उजागर करता है। उनका मानना है कि सभी धार्मिक पर्वों के प्रति सम्मान और सुरक्षा बनाए रखने से ही समाज में शांति और एकता का माहौल बना रह सकता है। उन्होंने विशेष रूप से हिंदू धर्म से आग्रह किया कि वे अपनी आस्थाओं को सुरक्षित और सशक्त बनाए रखने के लिए अपने अधिकारों के प्रति सजग रहें और समाज में शांति एवं सद्भाव बनाए रखने में सहयोग करें।