भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक रक्षाबंधन पर्व की भव्यता सभी बाजारों में फैली हुई है..रंग-बिरंगी राखियों से बाजार खिले हुए है..कोई ऐसा इलाका नहीं है, जहां राखियों के स्टॉल न लगे हों..अपने आस-पास सभी बाजारों में चहल-पहल देखने को मिल रही है...
राखियाँ खरीदने वालों की भीड़ उमड़ रही है..पर सकारात्मक बदलाव यह है कि हर बार की तरह इस बार भी चाइनिज राखियों के स्थान पर जयपुर, राजकोट, कोलकाता, दिल्ली, गाजियाबाद से आईं स्वदेशी राखीयां बाजार में अपना स्थान बना चुकी हैं...
स्वदेशी राखीयों की डिमांड चाइनिज राखियों से अधिक है, लोग दुकान पर आकर सबसे पहले स्वदेशी राखी की बात करते हैं और स्वदेशी के
महत्व को जानते हुए लोग अब चाइनिज राखियों का पूर्ण रूप से बहिष्कार कर रहे हैं...स्वदेशी राखियों में बच्चों के लिए मनपसंद चंद्रयान, स्पाइडर मैन, डोरेमोन इत्यादि कार्टून केरेक्टर की राखीयां भी देखने को मिल रही है। जिसका मूल्य १० रू से 3०० रू तक है..दूसरी ओर डाकघरों में भी राखी भेजने वालों की अच्छी संख्या देखी जा रही है...
दुकानदारों में भी रक्षाबंधन के पावन पर्व को लेकर उत्साह देखा जा रहा है...एक समय था जब लोग स्वदेशी के प्रति इतने जागरूक नहीं थे पर प्रधानमंत्री जी के वोकल फॉर लोकल के आह्वान और आत्मनिर्भर भारत के प्रति जागरूकता के चलते भारत के लोगों में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है ..लोग चाइनिज राखियों पर नहीं बल्कि स्वदेशी राखियों के खरीद पर अधिक जोर दे रहे हैं...