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रामभाऊ बोंडाळे और सुभाष जी सरवटे दिव्य ध्येय के तपस्वी थे – डॉ. मोहन भागवत जी

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नागपुर. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के ज्येष्ठ प्रचारक सुभाष जी सरवटे और रामभाऊ बोंडाळे, दिव्य ध्येय के तपस्वी थे. दोनों के जीवन त्यागमय तथा संघमय रहे. उनके गुणों का स्मरण करना और आत्मसात करने का प्रयत्न करना, यही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि होगी.

नागपुर के रेशीमबाग स्थित स्मृति भवन परिसर के महर्षि व्यास सभागृह में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, नागपुर महानगर की ओर से आयोजित कार्यक्रम में दिवंगत प्रचारकों सुभाष सरवटे तथा रामभाऊ बोंडाळे को श्रद्धांजलि दी गई. मंच पर सरसंघचालक मोहन भागवत जी, विदर्भ प्रांत सह संघचालक श्रीधर गाडगे, तथा नागपुर महानगर संघचालक राजेश लोया उपस्थित थे.

सरसंघचालक जी ने कहा कि रामभाऊ का जीवन अत्यंत कष्टप्रद रहा. उनका जीवन देखते हुए हम छोटे से बड़े हुए. संघ कार्य हेतु रामभाऊ ने अपार मेहनत की. राममंदिर बनता देख उन्हें अत्यंत आनंद हुआ था.

सुभाष जी नियमों के पक्के थे. बंगाल-असम की प्रतिकूल परिस्थिति में जाकर उन्होंने संघकार्य किया. उनका जीवन नियमित, संघ शरण एवं अभ्यासपूर्ण रहा. दोनों के जीवन त्यागमय और संघमय थे तथा स्वयंसेवकों को उनके गुणों का स्मरण कर, उन्हें अपने जीवन में उतारने की आवश्यकता है.

इस अवसर पर संघ के अधिकारी, स्वयंसेवक तथा विभिन्न संस्थाओं के पदाधिकारी बहुसंख्या में उपस्थित रहे. आरंभ में विभिन्न संस्थाओं के पदाधिकारियों ने दिवंगत प्रचारकों को श्रद्धांजलि अर्पित की. प्रशांत इंदूरकर ने सुभाष जी तथा श्रीकांत कोंडोलीकर ने रामभाऊ के जीवन पर प्रकाश डाला. शांति मंत्र के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ.