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राममंदिर की रक्षा में बलिदानियों की आत्मशांति के लिए अनुष्ठान, श्राद्ध और तर्पण भी, वाल्मीकि रामायण और श्रीरामचरितमानस का नवाह्न पारायण शुरू

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अयोध्या में श्रीरामजन्मभूमि मन्दिर की रक्षा के लिए पिछले 500 साल में अपने प्राणों की आहुति देने वाले बलिदानियों की आत्मा की शांति के लिए आज से अनुष्ठान शुरू हो गया है। राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय की देखरेख में वाल्मीकि रामायण और रामचरित मानस का नौ दिवसीय पारायण शुरू किया गया है।इस अवसर पर श्रीरामजन्मभूमि पथ पर रामजन्मभूमि परिसर के पास 51 वैदिक वाल्मीकि रामायण का पाठ किया जा रहा है। आपको बता दें कि वर्ष 1528 में मुस्लिम आक्रमणकारियों ने राम मन्दिर को ध्वस्त कर उसकी जगह मस्जिद बनाई थी। मन्दिर टूटने और मन्दिर बनने के इस क्रम में राम मन्दिर की रक्षा और आन्दोलन में लाखों सन्त और राम भक्तों ने अपना बलिदान दिया। सनातन धर्म के प्रतीक इसी भगवान श्रीराम मन्दिर के रक्षार्थ प्राणों का बलिदान करने वाले अनगिनत हुतात्माओं की आत्मा की शांति के लिए यह अनुष्ठान किया जा रहा है। इसमें राममंदिर आंदोलन के दौरान जान गवांने वाले कार सेवकों की आत्मा की शांति और मुक्ति के लिए भी सरयू तट पर श्राद्धकर्म का अनुष्ठान होगा। कांची काम कोटि पीठ के पूज्य शंकराचार्य शंकर विजयेंद्र सरस्वती जी महाराज अयोध्या में कारसेवकों का श्राद्ध कर्म और तर्पण करवाएंगे।