- पुलिस व प्रदर्शनकारियों के बीच हुईं झड़पें
संभल। संभल जिले में हालिया हिंसा ने कानून-व्यवस्था को प्रभावित किया। यह घटना तब शुरू हुई जब जामा मस्जिद के सर्वेक्षण के दौरान यह अफवाह फैली कि मस्जिद को गिराने की योजना बनाई जा रही है। इस अफवाह ने स्थानीय समुदाय में आक्रोश पैदा कर दिया, जिसके बाद हिंसा भड़क उठी। इस दौरान कई वाहनों को नुकसान पहुंचाया गया, और पुलिस व प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पें हुईं।
हिंसा का कारण और अफवाहें -
जामा मस्जिद का सर्वे स्थानीय अदालत के निर्देशों के बिना जिलाधिकारी के आदेश पर किया गया था। मस्जिद प्रबंधन समिति ने इस सर्वे को गैरकानूनी करार दिया। समिति के अध्यक्ष जफर अली ने कहा कि प्रशासन ने यह कदम बिना किसी वैध आदेश के उठाया, जो समुदाय के गुस्से का कारण बना। खुदाई की अफवाहों के बीच भीड़ उग्र हो गई और हिंसा फैल गई।
प्रशासनिक कार्रवाई -
हिंसा के बाद प्रशासन ने प्रभावित क्षेत्रों में बड़ी कार्रवाई की। समाजवादी पार्टी (सपा) सांसद जियाउर रहमान बर्क और विधायक नवाब इकबाल के प्रभाव वाले इलाकों में कई अवैध निर्माणों को ध्वस्त कर दिया गया। यह कदम क्षेत्र में शांति स्थापित करने और अवैध गतिविधियों पर रोक लगाने के उद्देश्य से उठाया गया।
राजनीतिक तनाव -
यह कार्रवाई राजनीतिक तनाव का कारण बनी। सपा सांसद और विधायक ने प्रशासन पर भेदभावपूर्ण रवैया अपनाने का आरोप लगाया। दूसरी ओर, भाजपा और अन्य संगठनों ने इस कार्रवाई को कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए आवश्यक बताया।
पुलिस की जांच और गिरफ्तारियां -
पुलिस ने दंगों के सिलसिले में 100 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया, जिनमें सपा विधायक नवाब इकबाल के बेटे सुहेल इकबाल भी शामिल हैं। उन पर दंगा भड़काने और भीड़ को उकसाने का आरोप है।
स्थानीय प्रशासन का बयान -
प्रशासन का कहना है कि यह कार्रवाई किसी समुदाय या व्यक्ति विशेष के खिलाफ नहीं है, बल्कि कानून व्यवस्था को बहाल करने के लिए की गई है। जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक ने स्पष्ट किया कि ऐसे किसी भी अवैध निर्माण को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, जो कानून के खिलाफ हो।
समाज का दृष्टिकोण -
घटना ने स्थानीय समाज में विभाजन पैदा कर दिया है। एक ओर, मुस्लिम समुदाय प्रशासन की कार्रवाई को पक्षपातपूर्ण बता रहा है, जबकि दूसरी ओर, हिंदू संगठनों ने इसे उचित ठहराया है।
अगले कदम -
संभल की यह घटना प्रशासन और राजनीतिक दलों के लिए चुनौतीपूर्ण है। हिंसा की न्यायिक जांच और समुदाय के बीच विश्वास बहाली के लिए ठोस प्रयास आवश्यक हैं। साथ ही, ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए संवाद और समावेशी नीतियों की जरूरत है।
यह घटना न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि राज्य में राजनीतिक और सामाजिक तनाव को भी उजागर करती है।