आद्य पत्रकार देवर्षि नारद जी के जयंती के अवसर पर आज विश्व संवाद केन्द्र,
गोरखपुर के तत्वावधान में "लोकतांत्रिक मूल्य एवं पत्रकारिता: चुनौतियां व समाधान" विषयक गोष्ठी एवं पत्रकार सम्मान समारोह का आयोजन सरस्वती विद्या मंदिर,तरंग क्रॉसिंग गोरखपुर के सभागार में सम्पन्न हुआ जिसकी अध्यक्षता डाॅ प्रतिभा गुप्ता, अध्यक्ष इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने की। प्रांत संघचालक डाॅ महेंद्र अग्रवाल विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे।
समारोह को मुख्य वक्ता के रूप में सम्बोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र के क्षेत्र प्रचार प्रमुख श्री सुभाष जी ने नारद जयंती की शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि आज कुछ लोगों के पेट में दर्द हो रहा है कि संघ वाले ये नारद जी को कहाँ लेकर आ गए। उन्हें शायद नहीं पता कि नारद जी ही इस जगत के आदि पत्रकार हैं। संघ की स्थापना से बहुत पहले जब प्रथम हिन्दी समाचार पत्र 'उदंत मार्तण्ड' का पहला अंक प्रकाशित हुआ तो उसमें प्रथम पृष्ठ पर आदि पत्रकार के रूप में नारद जी का ही चित्र छापा गया था। सुभाष जी ने आगे कहा कि पाँच इंद्रियों से शरीर बना है। समर्थ स्वामी रामदास कहा करते थे कि सामर्थ्य के साथ में एक दैवीय अनुष्ठान भी होना चाहिए। नारद दिव्य ऋषि हैं। नारद बनने के लिए नारद को जानना पड़ेगा। समाज धर्म के आधार पर, मूल्यों के आधार पर चलता है। मूल्य बनाने के लिए मोल चुकाना पड़ता है। हमारी अनेक पीढ़ियों ने मोल चुकाया है। पत्रकारिता के पीछे लोकमंगल की इच्छा होती है, सर्वजनहिताय की इच्छा होती है।नारद जी ने लोकमंगल की इस इच्छा का प्रचार किया था।सच्ची पत्रकारिता से भारत-भारतीयता, राष्ट्र-राष्ट्रीयता निखर कर आती है ।।उदाहरण के रूप में उन्होंने स्व हनुमान प्रसाद पोद्दार जैसे संपादक और कल्याण जैसी पत्रिका का संदर्भ दिया।।
आगे उन्होंने कहा कि 'मूल्य' अथर्ववेद से पहले का है, पहले यह था तभी तो अथर्ववेद में लिखा गया। हमारे मनीषियों ने इसे लेकर बहुत कार्य किया है। सुभाष जी ने अपने सम्बोधन में पत्रकारिता के मूल तत्वों - जिज्ञासा, संवाद, विश्वसनीयता, संवेदना तथा दिव्यता पर विस्तार से चर्चा की।।जिज्ञासा के अंतर्गत सम, दम, उपरति, तितीक्षा, मन की समता तथा मुमुक्षत्व की भी विशद व्याख्या उन्होंने की।
सुभाष जी ने कहा पत्रकारिता स्पर्धा नहीं, समन्वय है।पत्रकार के अंदर शब्द को ब्रह्म मानने की संकल्पना, संवाद का अतिशय आग्रह, चरित्र की कसौटी, ये गुण होने चाहिए।
कार्यक्रम में पत्रकार सम्मान के क्रम में 08 छायाकार बंधुओं का सम्मान किया गया।।कार्यक्रम का शुभारंभ देवर्षि नारद व भारत माता के चित्र पर पुष्पांजलि एवं दीप प्रज्वलन करके हुए।। कार्यक्रम का संचालन चन्द्र मणि ओझा,प्रस्ताविकी प्रो. प्रत्यूष दुबे व आभार ज्ञापन डॉ उमेश सिंह ने किया।।कार्यक्रम का समापन वंदे मातरम के साथ हुआ।।
कार्यक्रम में प्रमुख रूप से विभाग संघचालक शेषनाथ,आत्मा सिंह,पृथ्वीराज,महापौर डॉ मंगलेश श्रीवास्तव,विभाग कार्यवाह संजय, डॉ दिनेश मणि,रामनाथ गुप्ता,भाग कार्यवाह,उपेंद्र द्विवेदी,पुनीत पांडेय,राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ दक्षिणी व उतरी के कार्यकर्ता गण के साथ साथ विविध संगठन के कार्यकर्ता उपस्थित रहे।।