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शाहजहांपुर: कचौड़ी वाली अम्मा, रात 9 बजे से शुरू होती है दुकान, स्वाद ऐसा कि ठंड में भी उमड़ती है भीड़

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अगर आप घर से दूर हैं और अपनी मां के हाथों से बने खाने को मिस कर रहे है तो अब आपको चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। आज हम आपको शाहजहांपुर की अम्मा के हाथों की बनी कचौड़ी के स्वाद के बारे में बताएंगे जिसे देखकर ही आपके मुंह में पानी जाएगा।

अम्मा
के हाथ की बनी कचौड़ी की लोकप्रियता का अनुमान आप इस बात से लगा सकते हैं कि इसका स्वाद लेने के लिए हर शाम लोग अम्मा का इंतजार करते हैं। महिला का नाम वैसे तो अंजू वर्मा है लेकिन शहर के लोग उन्हें कचौड़ी वाली अम्मा के नाम से जानते हैं। विशेष बात यह है कि अम्मा की अपनी कोई दुकान नहीं है। वह सड़क किनारे एक दुकान के चबुतरे पर रात 9 बजे से अपनी रसोई लगाती है।

हालांकि
कचौड़ी का स्वाद लेने के लिए लोग पहले ही वहां पहुंच जाते हैं। आपको बता दें कि कचौड़ी वाली अम्मा यानी अंजू वर्मा के पति विनोद वर्मा की 7 साल पहले हार्ट अटैक से मौत हो गई थी। अम्मा के चार बच्चे हैं। परिवार के सामने जब रोजी-रोटी का संकट खड़ा हुआ तो अम्मा ने कचौड़ी बनाकर परिवार को संभाल लिया। अब बच्चे बड़े हो गए हैं और वह भी उनके इस काम में सहायता कर रहे है। कचौड़ी बेचकर ही अम्मा ने अपने बच्चों को पढ़ाया लिखाया

यहां
तक की अपनी एक बेटी की शादी भी उन्होंने कचौरी बेचकर ही की है। अम्मा का कहना है कि वह कचौड़ी बेचकर उतना ही कमाना चाहती हैं। जिससे उनके बच्चों का लालन-पालन हो सके। आत्मसम्मान की रोजी-रोटी जुटाकर अम्मा ने यह साबित कर दिया है कि छोटे से काम से भी आप अपनी पहचान बना सकते हैं। स्वावलम्बन का जीवन जी सकते हैं।