हमारे में से अधिकांश लोगों ने पत्थर जिहाद, लव जिहाद और थूक जिहाद सुना होगा लेकिन आज आपको जिस जिहाद के बारे में बताया जाएगा उसका विचार मन में आते ही आपको उल्टियाँ लग सकती हैं। इसका नाम लेने मात्र से गंदगी और घृणा का भाव मन में आता है...यह है पेशाब जिहाद...
घटना उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद के लोनी क्षेत्र की है जहाँ इन्द्रापुरी कॉलोनी में हिन्दू नाम खुशी जूस कार्नर के नाम से जिहादी आमिर की दुकान थी जो जूस में लोगों को अपना पेशाब मिलाकर पिलाता था। स्थानीय लोगों ने उसे ऐसा करते देखा और उसकी पिटाई की। पिछली अनेक घटनाओं में मुस्लिम समुदाय के व्यक्तियों द्वारा खाने पीने के सामान में थूक मिलाने के बहुत से वीडियों चर्चित हुए थे लेकिन ऐसा मामला सामने आने से क्षेत्र के लोगों के होश उड़ गये हैं कि आखिर जिस व्यक्ति पर वे आँख बंद कर विश्वास कर लेते हैं बिना किसी भेदभाव के सामुदायिक सोहार्द का परिचय देते हुए उसकी दूकान से जूस पीते हैं वह उनके साथ ऐसा घ्रणित काम कैसे कर सकता है। बहराइच से आकर यहाँ काम करने वाले आमिर पर बाहरी होने के बावजूद लोगों ने विश्वास जताया था।
हिन्दू मुस्लिम सामुदायिक सौहार्द को ऐसे ही लोग तार तार कर देते हैं। आखिर हिन्दू क्यों मुस्लिम पर विश्वास करे, क्यों उनकी दुकानों से सामान खरीदे? पावन कांवड़ यात्रा के समय खाने पीने की चीजों में पवित्रता का ध्यान रहे और खरीदने वाले को पता हो कि वह किसकी दुकान से सामान खरीद रहा है इसलिए योगी सरकार ने सभी दुकानदारों को अपनी पहचान प्रकट करने वाले बोर्ड लगाने को कहा था तब तथाकथित उदारवादियों ने बखेड़ा भी खड़ा किया था। कुछ लोगों ने तो इसे राजनैतिक रंग भी दे दिया था। जबकि ऐसी घटनाओं को देखते हुए पूरे देश में ऐसा कानून लागू होना ही चाहिए कि प्रत्येक दुकानदार या प्रतिष्ठान के मालिक और कर्मचारियों की पहचान सबको होनी ही चाहिए, इसे ग्राहक का अधिकार बनाया जाना चाहिए। आखिर मुस्लिम समाज के मौलवी ऐसे लोगों के खिलाफ फतवा कब जारी करेंगे जो ऐसा कुकृत्य कर रहे हैं।
समाज को यह भी विचार करना होगा कि आखिर मुस्लिम वर्ग के ऐसे लोग कहाँ से ऐसी मानसिकता का शिकार हो रहे हैं, या फिर शिकार बना रहे हैं, बात बात पर हल्ला काटने वाले मुस्लिम धर्मगुरु खुलकर ऐसे कृत्यों की निंदा क्यों नहीं करते हैं। फिलहाल पुलिस ने आमिर की दुकान से पेशाब से भरा एक केन बरामद किया है। उस पर केस दर्ज कर हिरासत में ले लिया गया है। इस तरह की घटनाए समाज में दो समुदायों के बीच दूरियां बढाने का काम ही करती हैं। ऐसे लोगों से सतर्क रहने की आवश्यकता है।