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हमारी एकता को तोड़ने के लिए देश के शत्रु, हिन्दू द्रोही लगातार प्रयास कर रहे

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महाकुम्भ नगर। 

- बच्चों को धर्मांतरित होने से बचाने का संकट दिख रहा है, हमारी एकता को तोड़ने के लिए विदेशी, देश के शत्रु, हिन्दू द्रोही लगातार प्रयास कर रहे हैं

-हमने जोड़ने का कार्य किया है, तोड़ने का नहीं। हमारे राष्ट्र की यह परंपरा रही है

अखिल भारतीय सामाजिक समरसता बैठक विश्व हिन्दू परिषद के शिविर में प्रारंभ हुई। बैठक वशिष्ठ सभागार में हो रही है। बैठक के प्रथम सत्र, उद्घाटन सत्र में विश्व हिन्दू परिषद के केंद्रीय महामंत्री बजरंग बागड़ा जी ने कहा कि गुलामी के कालखंड में हिन्दू समाज को बांटने की जो साजिश सफल ना हो पाई, वह आज सफल होती दिख रही है। बच्चों को धर्मांतरित होने से बचाने का संकट दिख रहा है, हमारी एकता को तोड़ने के लिए विदेशी, देश के शत्रु, हिन्दू द्रोही लगातार प्रयास कर रहे हैं। हमने जोड़ने का कार्य किया है, तोड़ने का नहीं। हमारे राष्ट्र की यह परंपरा रही है। हमारे राष्ट्र में समरसता के अनेकों उदाहरण हैं, जिसमें संत मीराबाई, संत रविदास, संत कबीर, गुरु नानक जी जैसे पूज्य संतों ने समाज का प्रबोधन सामाजिक समरसता की दिशा में किया है। आज भी समाज में भेदभाव कहीं ना कहीं कांटे की तरह चुभता है। स्वामी दयानंद का भी प्रयास अतुलनीय रहा है। आर्य समाज के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने सामाजिक समरसता को अपने कार्य का आधार बनाया। जिसकी प्रशंसा पूज्य बाबा साहब और गांधी जी ने भी की है।

उन्होंने कहा कि आज भी विधर्मी समाज को तोड़ने का लगातार प्रयास कर रहे हैं। हमें सामाजिक समरसता के अभियानों को धार देनी है, अपने प्रयासों में गति लानी चाहिए। नकारात्मक विचार समाज से समाप्त हो, अच्छे विचार समाज में पहुंचें, इसका प्रसार हो, इसके लिए हमें अपने निजी जीवन में व्यवहार से प्रारंभ करना चाहिए। अपने जीवन, परिवार और समाज में यह भाव पहुंचना चाहिए। हमें समाज को जोड़ने का प्रयास करना है।

आज हम जिस स्थान पर एकत्रित हैं, वह स्थान भी ऐसे पर्व महाकुंभ के लिए जाना जाता है जो सामाजिक समरसता का दुनिया का सबसे बड़ा उदाहरण है। हम सभी पूर्व में एक थे, आज भी एक हैं, आगे भी एक रहेंगे। जातियों में बांटने वाले, समाज में अस्पृश्यता फैलाने का प्रयास करने वाले कभी सफल नहीं होंगे। हमें इससे विचलित नहीं होना है। समस्याएं आती हैं तो उसका समाधान करना है। आज के समय में अगर देखा जाए तो पूर्व से ज्यादा समरसता बढ़ी है, आज समाज में समरसता का भाव पहले से ज्यादा दिख रहा है। इसका उदाहरण अनेक स्थानों पर देखा जा सकता है, यह किसी से छिपा नहीं है।